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सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में हो उच्चस्तरीय जांच

अवधूतिका आनंद हितवादिनी आचार्या के आत्मदाह के विरोध में निकला विरोध जुलूस, आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने डीसी को सौंपा ज्ञापन

बोकारो, अवधूतिका आनंद हितवादिनी आचार्या के आत्मदाह के विरोध में आनंद मार्ग प्रचारक संघ ने शनिवार को विरोध जुलूस निकाला. नयामोड़ से कैंप दो स्थित डीसी ऑफिस तक जुलूस निकाला गया. दाे हजार से अधिक संन्यासी, संन्यासिनी व गृही मार्गी शामिल हुए. डीसी को ज्ञापन सौंपा गया. वक्ताओं ने बताया कि हितवादिनी आचार्या दांतू में 2001 से काम कर रही थी. स्कूल व चिल्ड्रन होम भी संचालित कर रही थीं, जिसमें स्थानीय गरीब व आदिवासी बच्चे स्कूल के सबसे बड़े लाभार्थी थे. मांग पत्र में दोषियों को तत्काल दंडित किये जाने की मांग की गयी. उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश के तहत उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की गयी.

वक्ताओं ने कहा कि मामला बिल्कुल स्पष्ट है कि आचार्य सर्वात्मानंद अवधूत इस संपत्ति के एकमात्र और पूर्ण मालिक है. सभी उचित जांच पड़ताल के बाद विभाग ने आचार्य सर्वात्मानंद अवधूत के नाम पर मुआवजे के लिये अवार्ड प्रमाण पत्र जारी किया था. भूमि के स्वामित्व का प्रमाण पत्र भी आचार्य सर्वात्मानंद अवधूत पुत्र श्री श्री आनंदमूर्तिजी के नाम पर है. इन सभी स्थापित व सिद्ध तथ्य- दस्तावेज के बावजूद रमेंद्रानंद अवधूत के अवैध व अनावश्यक हस्तक्षेप को क्यों स्वीकार किया गया.

विषम परिस्थिति पैदा की गयी, इससे हितवादिनी हुई आत्मदाह को विवश

केंद्रीय जनसंपर्क सचिव आचार्य दिव्यचेतनानंद ने कहा कि थोड़ी देर के लिए मान भी लें कि उक्त भूमि आनंद मार्ग प्रचारक संघ के नाम पर पंजीकृत थी. कोलकाता प्रशासन द्वारा नियंत्रित थी. इस स्थिति में भी रांची प्रशासन चार फरवरी 2011 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रसेनजीत मोंडल की ओर से पारित फैसले के आधार पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. साफ-साफ निर्देश दिया गया है कि दोनों पक्षों को संघ के मुकदमे से संबंधित संपत्तियों के साथ यथास्थिति बनाए रखनी चाहिए. वक्ताओं ने बताया कि रमेंद्रानंद अवधूत ने चार करोड़ रुपये के लालच में कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसी परेशानी व विषम परिस्थितियां पैदा की, इससे हितवादिनी दीदी को आत्मदाह के लिए मजबूर होना पड़ा.

नयामोड़ से डीसी ऑफिस तक का नजारा गेरूआ रंग से भरा पड़ा दिखा. आनंदमार्गी पंक्तिबद्ध होकर सड़क के एक लेन में बढ़ते दिखे. हाथ में न्याय की गुहार लगाती लख्तियां व बैनर लिये सभी डीसी ऑफिस की ओर आये. डीसी ऑफिस के सामने आनंदमार्गियों की भीड़ जमा हुई, लेकिन इस दौरान किसी प्रकार का शोर-शराबा सुनने को नहीं मिला. आनंदमार्गियों ने शांति व अनुशासन के साथ विरोध दर्ज कराया. हर किसी ने विरोध के दौरान अनुशासन का परिचय दिया.

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