पूसा : धान की रोपाई के 25 से 30 दिनों बाद किसानों को धान की फसलों में समुचित मात्रा में विभिन्न तरह के उर्वरकों का समय-समय पर प्रयोग करते रहना चाहिए. धान की फसलों में फसल की जरूरत के अनुसार ससमय दिया गया विभिन्न तरह का उर्वरक किसानों को धान से उच्च स्तरीय उत्पादन दिलाने में काफी मदद करता है. ये जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के अध्यक्ष सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. रवींद्र कुमार तिवारी ने दी. उन्होंने कहा कि इस साल बहुत अच्छी बारिश नहीं हुई है जिस वजह से किसानों ने अपने खेतों में काफी कम मात्रा में धान लगाया है. वैसे किसान जिन्होंने सिंचाई के भरोसे धान की खेती की है वे अब धान की फसल पर विशेष ध्यान दें. किसान धान के खेतों की मेड़बन्दी मजबूती से करें ताकि वर्षा का पानी खेत से बाहर न निकल पाए. पछेती प्रजाति के लगाएं गए धान की फसल में जहां पौधे मर गए हों वहां उसी प्रजाति के नए पौधों की रोपाई दोबारा करें. धान की खेत में पानी का स्तर 3 से 4 सेंटीमीटर हमेशा बनाएं रखें. कृषि वैज्ञानिक डाॅ. तिवारी ने बताया कि इस समय धान की फसल में उर्वरक का प्रबंधन करना काफी महत्वपूर्ण होता है. वैसे धान जो अधिक उपज देने वाली किस्म के हो तथा जिन्हें लगाएं हुए 25 से 30 दिन हो गए हो तथा उसमें कल्ले निकल रहे हो उसमें 65 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से अविलंब डालें. उसके बाद यूरिया की इतनी ही मात्रा धान की रोपाई के 50 से 55 दिनों बाद यानी पुष्पावस्था में डालें. उन्होंने बताया कि धान की सुगंधित प्रजातियों में 33 किलोग्राम यूरिया ही प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. धान के पौधे की पत्तियां अगर पीली दिखाई दे तो उसमें जिंक की कमी हो सकती हैं. ऐसे लक्षण दिखाई देने पर किसान धान के फसल पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट एवं 0.25 प्रतिशत बुझे हुए चूने के घोल को एक साथ मिलाकर 2 से 3 छिड़काव 15 से 20 दिनों के अंतराल पर करें. वैसे किसान जिन्होंने धान की सीधी बुआई की है अगर उनके धान के पौधों में लौह तत्व की कमी दिखाई देती हो तो वे उसमें 0.5 प्रतिशत पेफरस सल्फेट का घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल पर दो से तीन छिड़काव करें. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि इस समय धान की फसल में खरपतवार का नियंत्रण भी काफी मायने रखता है. धान के फसल का खरपतवार धान के पैदावार को बुरी तरह से प्रभावित करता है तथा इसके साथ-साथ खरपतवार धान में लगने वाले रोगों एवं कीटों को भी आश्रय देता है. किसान फसल में खरपतवार दिखाई देने पर खेतों में अविलंब निकौनी का काम करवाएं. किसान निकौनी का काम समय-समय पर कराते रहें.
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