रांची. पीपेसा को लागू कराने के लिए आदिवासी संगठनों की बैठक शनिवार को पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में हुई. बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के विक्टर माल्तो उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई को मंच द्वारा दायर पीआइएल पर सुनवाई करते हुए संसदीय अधिनियम पेसा 1996 के प्रावधानों को अनुसूचित क्षेत्रों में लागू करने के लिए आदेश दिया है. इसके बाद बीते नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के दौरान झारखंड के नये राज्यपाल संतोष गंगवार ने भी राज्य सरकार को सुझाव दिया कि उसे इस अधिनियम को जल्दी लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हैरानी इस बात की है कि इसके बाद भी इस मामले को लेकर झा्रखंड सरकार का कोई बयान नहीं आया है.
मंच पिछले दो दशक से आंदोलनरत रहा है
विक्टर माल्तो ने बताया कि इस मामले को लेकर मंच पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से आंदोलनरत रहा है. उन्होंने बताया कि अनुसूचित क्षेत्रों में इस अधिनियम का लागू होना काफी जरूरी है. इसके बिना आदिवासियों का विकास सही तरीके से नहीं हो सकता है. इससे पहले प्रभाकर कुजूर ने कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम में रांची, गुमला, चक्रधरपुर. सिमडेगा सहित अन्य जिलों से मंच से जुड़े प्रतिनिधि और पारंपरिक अगुआ सहित ग्रामीण मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है