रांची : झारखंड में सड़क निर्माण के लिए भू-अर्जन की समस्या बढ़ती जा रही है. भू-अर्जन के लिए पैसे होने के बाद भी जमीन लेना मुश्किल हो रहा है. ऐसी स्थिति रैयतों को जमीन के एवज में मुआवजा का भुगतान नहीं होने की वजह से हो रही है. जमीन नहीं मिलने का असर पथ विभाग की सड़क परियोजनाओं पर पड़ रहा है. फिलहाल राज्य भर में रैयतों के मुआवजे की करीब 2200 करोड़ की राशि पड़ी हुई है. यह राशि पथ निर्माण विभाग ने जिला भू-अर्जन कार्यालयों को दी थी.
रैयतों के बीच किया गया 720 करोड़ रुपये का वितरण
मौजूदा आंकड़ा के मुताबिक करीब 2920 करोड़ रुपये भू-अर्जन कार्यालयों को दी गयी थी. इसमें से अब तक मात्र करीब 720 करोड़ रुपये का ही वितरण रैयतों के बीच किया गया है. इस तरह करीब 2200 करोड़ रुपये रैयतों को नहीं दिये गये हैं. पैसा नहीं मिलने के कारण रैयत जमीन देना नहीं चाह रहे हैं. कई जिलों में रैयत सड़क निर्माण योजना का विरोध कर रहे हैं. वे पहले मुआवजा मांग रहे हैं. तभी काम करने देने की बात कह रहे हैं.
रांची सबसे ज्यादा प्रभावित :
आंकड़ों के मुताबिक, रांची जिले में सबसे अधिक करीब 768 करोड़ रुपये का मुआवजा बाकी है. विभाग ने रांची जिले के रांची पथ प्रमंडल को करीब 777 करोड़ व रांची ग्रामीण को करीब 20 करोड़ रुपये सड़क योजनाओं की जमीन लेने के लिए दिया था. कुल 797 करोड़ रुपये दिये गये थे. इसमें से मात्र 26 करोड़ रुपये पथ प्रमंडल रांची व तीन करोड़ रुपये पथ प्रमंडल रांची ग्रामीण में ही रैयत को दिये गये हैं. यानी 29 करोड़ रुपये बांटे गये. शेष राशि 768 करोड़ बची हुई है.
सात जिलों ने एक रुपये भी नहीं बांटा :
राज्य के सात जिलों गिरिडीह, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, चतरा, कोडरमा व डालटनगंज (पलामू) ने मुआवजे की राशि का एक रुपये भी नहीं बांटा. पथ विभाग से पैसे जिलों को मिले पर सारे पैसे पड़े हैं.