यम और नियम का पालन किये बिना ईश्वर और धर्म को जानना संभव नहीं है. अधिकतर लोग ईश्वर को जानते हैं, पर मानते नहीं और जो मानते हैं, परंतु ठीक-ठाक जानते नहीं. उक्त बातें आर्य समाज के वैदिक पुरोहित विद्यानिधि आर्य ने रविवार को आर्य समाज मंदिर चपरी में सार्वजनिक रूप से आयोजित साप्ताहिक वैदिक हवन यज्ञ के पश्चात प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने ईश्वर को जानो फिर मानो पर विशेष बल दिया. धर्म क्या है और इसे क्यों मानना चाहिए, इस पर भी विस्तृत चर्चा की. कहा कि वेद में ईश्वर के सही स्वरूप और धर्म के बारे में विस्तार से बताया गया है. मनुष्य को प्रत्येक दिन स्वयं का निरीक्षण करने और धर्म के पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया. कहा कि जो यम नियम का पालन करता है, ईश्वर उसे साथ देते हैं. मन, वचन और कर्म से किसी के बारे में गलत नहीं सोचना चाहिए. कहा कि ईश्वर नित्य, पवित्र और सृष्टि कर्ता हैं. उनका ज्ञान शुद्ध है. परमात्मा न बुरा करते हैं और न करने की सलाह देते हैं. कहा कि मनुष्य धर्म के वास्तविक स्वरूप को समझ लेगा, तो उसका जीवन सफल हो जाएगा. अविद्या के कारण मनुष्य का ज्ञान अशुद्ध हो जाता है. इसलिए वह गलत करता है. मनुष्य वेद के अनुसार चलेगा. ऋषियों के ग्रंथ को पढ़ेगा तो उसका जीवन शुद्ध हो जाएगा. कार्यक्रम का समापन शांति पाठ और ईश्वर के मुख्य नाम ओउम् की ध्वनि से किया गया. इस अवसर पर यजमान के रूप में धनेश्वर प्रसाद के अलावा प्रधान राजकुमार आर्य, मंत्री मुकेश कुमार आर्य, राजकुमार, अनिल आनंद सहित अन्य उपस्थित रहे.
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