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खड़गपुर आइआइटी ने मनाया 74वां स्थापना दिवस

खड़गपुर आइआइटी ने रविवार को अपना 74वां स्थापना दिवस मनाया. नेताजी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीइओ अमिताभ कांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

भारत पांच वर्षों में बन जायेगा दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति : अमिताभ कांत प्रतिनिधि, खड़गपुर . खड़गपुर आइआइटी ने रविवार को अपना 74वां स्थापना दिवस मनाया. नेताजी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में भारत के जी-20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीइओ अमिताभ कांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इसके अलावा इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ, डीआरडीओ चेयरमैन समीर कामथ, नृत्यांगना और पूर्व राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह, आइआइटी निदेशक बीके तिवारी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे. स्थापना दिवस के अवसर पर नवाचारों, तकनीकी विकास, अनुसंधान, सामुदायिक कल्याण, नेतृत्व, उद्यमिता, सामाजिक प्रभाव, राष्ट्र निर्माण, राष्ट्रीय हित और पेशेवर उपलब्धियों में उत्कृष्टता का सम्मान करते हुए आइआइटी खड़गपुर के 32 युवा पूर्व छात्रों को यंग एलुमनी अचीवर अवार्ड दिया गया. स्थापना दिवस पर खड़गपुर आइआइटी के निदेशक बीके तिवारी ने कहा : आइआइटी खड़गपुर ने देश के पहले आइआइटी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की. आज इस संस्था के बच्चे पूरी दुनिया में फैले हुए हैं, जो बात है. इस दिन आइआइटी के 32 लोगों को यंग एलुमनी अवॉर्ड, नौ को फैकल्टी एक्सीलेंस अवॉर्ड, 30 कर्मचारियों को स्टाफ एक्सीलेंस अवॉर्ड और 74 कर्मचारियों को 25 साल की सेवा के लिए सम्मानित किया गया. नीति आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ कांत ने कहा : अगले पांच साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा. श्री कांत ने कहा : वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था तीन लाख 40 हजार करोड़ तक पहुंच गयी है. हम पांचवें स्थान पर पहुंच गये हैं. अगले चार से पांच साल में भारत पांच लाख करोड़ डॉलर की आर्थिक ताकत बन जायेगा. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. उन्होंने कहा : भारत को खोज के केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी और शिक्षा को निकटता से जोड़ा जाना चाहिए. आइआइटी खड़गपुर इस संबंध में दिशा दिखा सकता है. आइआइटी खड़गपुर देश का सबसे पुराना संस्थान है और यह देश के अन्य आइआइटी का जनक है. संस्थान देश और विदेश के कई इंजीनियरों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. बढ़ते भारत के लिए, हमें उच्चतम क्रम के नवाचार की आवश्यकता है, जिसके लिए भारत को एक नवाचार केंद्र बनना होगा. इसके बदले में हमें व्यावहारिक अनुसंधान और बाजार उन्मुख नवाचार में निवेश करने की आवश्यकता होगी , जिसके लिए हमें अकादमिक-अनुसंधान-उद्योग साझेदारी के विशाल निर्माण की आवश्यकता है. हमें प्रयोगशालाओं से बाजारों तक संक्रमण के लिए प्रोटोटाइपिंग और परीक्षण के साथ नवाचार, बुनियादी ढांचे की प्रतिभा का निर्माण करने की भी आवश्यकता है.

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