रांची. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनइपी) एक साल पहले डीएसपीएमयू में लागू की गयी. जिसके अंतर्गत चार वर्षीय स्नातक की पढ़ाई शुरू की गयी. इस शिक्षा नीति के अनुसार स्नातक में नामांकन लेनेवाले विद्यार्थियों को विवि की ओर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया करानी है. लेकिन वर्तमान में विद्यार्थियों तक केवल शिक्षा पहुंच रही है और इसमें गुणवत्ता गायब है. जिसका सबसे बड़ा कारण विवि में शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी होना है. डीएसपीएमयू में जहां 166 शिक्षकों के पद हैं, वहीं स्थायी शिक्षक मात्र 46 है. इनकी मदद के लिए 43 नीड बेस्ड शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है. 77 वहीं कर्मचारी भी तय पद से आधे हैं, जबकि प्रयोग वाले विषय की प्रयोगशाला बस नाम की है.
विवि के 29 विभाग में 77 शिक्षकों की कमी
डीएसपीएमयू में 29 विभागों में स्नातक से स्नातकोत्तर स्तर तक की पढ़ाई होती है. लेकिन इन विभागों में शिक्षकों के 77 पद खाली हैं. वजह है कि 2008 के बाद शिक्षकों की रेगुलर नियुक्ति नहीं हुई है, जिस कारण कई विभागों में रेगुलर शिक्षक एक भी नहीं हैं. इसका असर विद्यार्थियों की गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर पड़ रहा है.
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