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जिले के 434 गांव बने मॉडल, 209 पंचायतों में चल रहा काम

जिले के 434 गांव बने मॉडल, 209 पंचायतों में चल रहा काम

मुजफ्फरपुर. शहर की तरह अब गांवों में भी ठोस एवं तरल कचरा अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य चल रहा है. 434 गांव की साफ सफाई व कचरा प्रबंधन को लेकर मॉडल घोषित किया है. 209 पंचायतों में अपशिष्ट प्रबंधन का काम चल रहा है. देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में गिने जाने वाले जिले मुजफ्फरपुर ने कचरा प्रबंधन में नाम किया है. जिले के बघनगरी पंचायत ने कचरा प्रबंधन में मिसाल पेश किया है. यहां के मॉडल को कर्नाटक में अपनाया जा रहा है. कर्नाटक से आठ लोगों की टीम कचरा प्रबंधन की इस तरकीब को सीखने आयी थी. जिले की विशनपुर बघनगरी पंचायत ने पंचायत को स्वच्छ तो बनाया ही है, इसके साथ ही सिखाया कि कैसे कचरा के प्रबंधन से रोजगार देने के साथ आत्मनिर्भरता की राह खोली जा सकती है. पंचायत में घर-घर से कचरा एकत्र कर खाद बनाई जाती है. महीने में करीब एक टन सूखा और 10 टन गीला कचरा जमा होता है. एक टन गीले कचरे से करीब 300 किलो जैविक खाद बनाई जाती है. अब तक चार टन खाद बनाई जा चुकी है. तीन महीने में खाद तैयार हो जाती है. उस खाद को चार रुपये प्रति किलो से बेच दी जाती है.

ऐसे होता है कचरा प्रबंधन :

पंचायत के सभी घरों में डोर टू डोर कचरा का कलेक्शन किया जाता है. इस काम में कुल चार महिला और 10 पुरुष स्वच्छाग्रही शामिल हैं. स्वच्छाग्रही घर-घर घूम कर ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थ का कलेक्शन कर इसे कचरा डंप केंद्र पर जमा करते हैं जहां से सभी प्रकार के कचरा का अलग-अलग निस्तारण किया जाता है. उसके बाद उस तरल और ठोस पदार्थ को खाद में परिणत कर उसे बेचकर पैसे की आमदनी किया जाता है. इस व्यवस्था के तहत प्रत्येक घरों से 30 – 30 रुपये लिए जाते हैं जिससे सभी स्वच्छता मित्र का पेमेंट किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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