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सावन की आखिरी सोमवारी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, हर-हर महादेव से गूंजे शिवालय

सावन की अंतिम सोमवारी पर जिले के प्रमुख शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह मंदिरों के पट खुलने के साथ ही महादेव का जलाभिषेक करने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी.

राउरकेला. सावन की अंतिम सोमवारी पर जिले के प्रमुख शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. सुबह मंदिरों के पट खुलने के साथ ही महादेव का दर्शन करने व जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. देर शाम तक मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा. शिवालयों में हर हर महादेव तथा ओम नमः शिवाय के जय घोष के साथ महिला-पुरुषों ने जलाभिषेक किया. शहर के हनुमान वाटिका, वेदव्यास धाम, स्टेशन परिसर स्थित संकटमोचन मंदिर, ओल्ड स्टेशन रोड स्थित गौरीशंकर मंदिर, सेक्टर-16 धवलेश्वर मंदिर, सेक्टर-6 शिव मंदिर, सेक्टर-16 जाेडा शिवमंदिर, एफसीआइ लोकनाथ मंदिर, सेक्टर-3 अहिराबंध जगन्नाथ मंदिर परिसर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर, सेक्टर-19 अखंडलमणि मंदिर, उदितनगर अखंडलमणि मंदिर, बिरसा डाहर श्याम मंदिर परिसर स्थित शिवालय के अलावा अन्य शिवालयों में महिलाओं व पुरुषों ने जलाभिषेक किया. पुजारियों ने विधि-विधान के साथ बाबा भोले की पूजा की. कई शिवालयों में प्रसाद की व्यवस्था की गयी थी. श्रद्धालुओं को मंदिर में जलाभिषेक व पूजा-अर्चना करने में परेशानी न हो, इसके लिए मंदिर कमेटी की ओर से विशेष व्यवस्था की गयी थी.

25 फीट लंबे त्रिशूल के साथ निकाली कांवर यात्रा

राउरकेला महानगर निगम अंतर्गत मुख्य मार्ग के जीटी लेन के युवाओं ने सावन की आखिरी सोमवार पर राउरकेला से घोघड़ धाम तक 25 फुट लंबे त्रिशूल के साथ कांवर यात्रा निकाली. जीटी लेन से निकला सजा-धजा कांवर आकर्षण का केंद्र बना रहा. जीटी लेन स्थित राम काॅम्प्लेक्स में रविवार की शाम कांवर लेकर निकलने के बाद युवाओं की टोली वेदव्यास त्रिवेणी संगम पहुंची. वहां पर जल भरने के बाद कांवर लेकर यह टोली घोघड़ धाम के लिए रवाना हुई. वहां पर कांवर चढ़ाने के बाद जिस 25 फुट लंबे त्रिशूल के साथ कांवर लाया गया था, उस त्रिशूल को वहां से लाने के बाद विधि-विधान से राउरकेला के संकटमोचन मंदिर में स्थापित किया गया.

बागडीही धाम में भांग से किया गया बाबा महाकाल का शृंगार

झारसुगुड़ा जिले के बागडीही स्थित महाकाल धाम में सावन महीने में महाकाल का भव्य शृंगार आकर्षण का केंद्र रहा. रविवार को बाबा का शृंगार भांग से किया गया था. इसमें सूखा मेवा, काजू, बादाम, किसमिस समेत चेरी का भी इस्तेमाल किया गया था. शृंगार देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त जुटे थे.

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