Chanakya Niti: हमारी प्रकृति और इस प्रकृति में पाए जाने वाले जीव-जन्तु हमें कई तरह से शिक्षित करने का काम करते हैं. इनसे अगर हम चाहें तो अनगिनत प्रेरणा हासिल कर सकते हैं. हमारी प्रकृति हमें जितनी अच्छी तरह से परोपकार की शिक्षा देती है, वैसी शिक्षा शायद ही कोई दे पाए. उसी तरह हमारे चारों और मौजूद जीव-जन्तु भी हमें कई बार जीवन जीने की कला सीखा जाते हैं. अगर हम अपने चारों ओर नजर दौड़ाएं तो हम हमेशा कुछ ना कुछ अलग और महवपूर्ण शिक्षा जरूर ग्रहण करेंगे. आचार्य चाणक्य ने भी अपने नीतिशास्त्र में कई ऐसे जीव जंतुओं और प्राकृतिक चीजों के बारे में बतालने का प्रयास किया है. जिससे मनुष्य बहुत कुछ सीख सकता है. इस लेख में आपको बताया जा रहा है कि ऐसे कौन-से गुण हैं जो मनुष्य को कौवे से सीखने चाहिए.
सभी ओर दृष्टि रखें
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में यह बतलाया है कि जिस प्रकार कौवे की दृष्टि चारों ओर रहती है और वह हर समय सतर्क रहता है, बिल्कुल ऐसा ही गुण मनुष्यों में भी होना चाहिए मनुष्यों को भी कौवे की ही तरफ हमेशा अपनी नजरों को तैयार और खुद को सतर्क रखना चाहिए, ताकि वह ऐसी किसी परेशानी में ना पड़ जाए जो उसकी लापरवाही के कारण पैदा हुई हो.
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निडरता का गुण
आचार्य चाणक्य का मनना है कि मनुष्यों में कौवे की ही तरफ निडरता का गुण भी होना चाहिए, क्योंकि एक निडर और आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति वो हर कुछ हासिल कर लेता है, जिसे डरपोक लोग अधिक क्षमता होने के बाद भी हासिल नहीं कर पाते हैं.
उपयोगी वस्तुओं का संचय करें
जिस प्रकार कौवा हर वक्त उपयोगी वस्तुओं का संचय करने में लगा रहता है, उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने सुख के वक्त में ऐसी वस्तुओं का संचय करके रख लेना चाहिए, जो दुख की घड़ी में उसके काम आ सके, क्योंकि यही बुद्धिमानी है.
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