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वृहत आश्रय गृह व जिला बाल संरक्षण इकाई से जुड़े बच्चों का डाटा होगा अपडेट

कार्यशाला में विशेषज्ञ की टीम ने कई ऑनलाइन पोर्टल की दी जानकारी

कटिहार. जिला बाल संरक्षण इकाई अंतर्गत संचालित वृहद आश्रय गृह में मंगलवार को राज्य बाल संरक्षण समिति पटना से आये तकनीकी विशेषज्ञ राकेश कुमार एवं शाहिद जावेद ने सीपीएमआईएस, पीएफएमआईएस, एचआईएमएस, ट्रैक द चाइल्ड पोर्टल के साथ-साथ अन्य सभी पोर्टल के संबंध में पीपीटी के माध्यम से डाटा फाइलिंग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा किया. जिसमें जिला के अंतर्गत सभी तरह के बच्चे, जो किसी न किसी मामले के कारण आवासित है. उन्हें उचित समयानुसार पोर्टल में इन्ट्री करने के बारे में जानकारी दी गयी. कार्यक्रम में शामिल सीएफसी भवन में सभी गृहों के अधीक्षकों, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी, परिवीक्षा अधिकारी, परामर्शियों, सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, सहायक सह डाटा इंट्री ऑपरेटर, आउटरीच वर्करों के साथ-साथ जिला बाल संरक्षण इकाई अंतर्गत किशोर न्याय परिषद्, बाल कल्याण समिति के डाटा इंट्री ऑपरेटर को कहा गया है कि मिशन वात्सलय पोर्टल से संबंधित सभी डाटा को ससमय पर्यवेक्षण बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) एवं आंकड़ा विश्लेषक को निरीक्षण करना है. साथ ही जिला बाल संरक्षण इकाई के आंकड़ा विश्लेषक, एवं बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय परिषद के सहायक सह डाटा इंट्री ऑपरेटर को बच्चों से संबंधित डाटा का इन्ट्री करने का तरीका बताया गया. ऑनलाइन सुपरविजन का कार्य बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) एवं आंकड़ा विश्लेषक को प्रत्येक दिन शाम में करना है. सभी प्रवेश किये गये डाटा का ससमय थानाध्यक्षों, बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों एवं अन्य से प्राप्त डाटा का पर्यवेक्षण बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) को प्रत्येक दिन करना है. आंकड़ा प्रविष्टि के समय सभी पैरामीटर का ध्यान रखना है. आंकड़ा प्रविष्टि में नाम, उम्र, लिंग, जाति, धर्म आदि का सही से आईसीपी में भरेंगें. जिला में सभी संरक्षित बच्चों एवं उसके परिवार के सदस्यों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा एवं विकासात्मक योजनाओं से जोड़ने का कार्य प्राथमिकता से किया जाना है. बच्चों को सामाजिक, आर्थिक व पारिवारिक पृष्टभूमि का अवलोकन करते हुए विभिन्न विकासात्मक कार्यों से जोड़ना है. किशोर न्याय परिषद् के तहत आये हुए बच्चों को निःशुल्क विधिक सेवा का लाभ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संबंधित अधिवक्ताओं के द्वारा उपलब्ध कराना है. ताकि बालकों को अपना निजी अधिवक्ता रखने की आवश्यकता न हो.

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