कुरसेला. नदियों के जलस्तर नरम पड़ने के बावजूद निचले क्षेत्रों के लोगों को बाढ़ परेशानियों से राहत नहीं मिल पायी है. जल जमाव की स्थिति में घरों से निकलना मुश्किल बना हुआ है. सुदूर गांवों के तकरीबन आधा दर्जन संपर्क पथों पर बाढ़ के पानी का बहाव होने से लोग नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं. निचले भूभाग पर बसे अनेकों गांवों में बाढ़ से प्रभावित हैं. खेतों के बाढ़ से डूबने से पशुपालकों के समक्ष पशुचारा का अभाव पड़ गया है. पशुपालक महिलाएं दूर दराज के सूखे क्षेत्रों से पशुओं के लिये हरा चारा लाकर पशुओं का जीवन रक्षा कर रही हैं. गंगा पार दियारा के गांवों के लोगों के समक्ष बाढ़ ने कई तरह का मुसीबत पैदा कर दिया है. चारों तरफ पानी से घिरे दियारा का गांव टापू बन गया है. बाढ़ से गंगा नदी का दायरा बढ़ने से नाव से नदी पार करना जोखिम भरा हो गया है. गोबराही, जरलाही, बटेशपुर दियारा क्षेत्र के गांवों में निवास करने वाले के लिए गंगा नदी पार कर बाजार से रसद आदि समानों को लाना दुष्कर हो गया है. माना जा रहा है कि गंगा, कोसी नदियों में उफान बढ़ सकता है. नदियों का उफान बढ़ने से बाढ़ की मुश्किलें बढ़ सकती है. बाढ प्रभावित गांवों के लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए है. भठ्ठा चौक से शेरमारी, चांय टोला गांव को जोड़ने वाले सड़क पुलिया पर तीन से चार फीट पानी का बहाव हो रहा है. इसी तरह बाघमारा- पचखुटी सड़क के बाढ़ में डूबने से आवागमन ठप है. कुरसेला कोशकीपुर सड़क पुलिया पर पानी चढ़ने से यातायात करने की कठिनाई बन गयी है.
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