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किसान कर रहे है जीरा फूल धान की खेती

प्रखंड के जोरी गांव के लोग ढाई दशक पूर्व तक जलावन की लकड़ी बेचकर अपने और परिवार का गुजार करते थे.

तसवीर-20 लेट-2 नहर का निरीक्षण करते ग्रामीण, लेट-3 लहलहाती धान की फसल, लेट-4 ग्राम प्रधान छलकू नगेसिया वसीम अख्तर: महुआडांड़. प्रखंड के जोरी गांव के लोग ढाई दशक पूर्व तक जलावन की लकड़ी बेचकर अपने और परिवार का गुजार करते थे. लेकिन आज उनकी खेतों मेंं जीरा फूल जैसे सुगंधित धान की फसल लहलहा रही है. धान के अलावा गांव के किसान रबी फसल के रूप में बटुरा (छोटा मटर) मसूर और गेंहू की पैदावार बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोविड के बाद जोरी गांव के ग्रामीणों ने ग्राम सभा के माध्यम से मनरेगा योजना के तहत घाघरी से काठो पुल तक नहर जीर्णोंद्धार का कार्य कराया. ग्रामीणों ने स्वयं से घघरी के पास बड़े पत्थरों से लेटो नदी का पानी को डायवर्ट कर हर्रा बांध तक लाया. जिसे हगरी बांध में उसके पानी को संग्रहित किया गया. इसके बाद वर्ष 2022 में घघरी में लघु सिंचाई विभाग से पक्का चेकडेम निर्माण कराया गया जिससे जोरी गांव मे लगभग 500 एकड़ से अधिक खेतों में सिंचाई होती है. जोरी गांव में वन अधिकार कानून 2006 के तहत 252.04 एकड़ पट्टा ग्रामीणो को दिया गया है. गांव के युवा अजित लकड़ा बताते हैं कि सामान्य बारिश की स्थिति में हर साल दो लाख से अधिक का धान बेचते हैं. क्या कहते है ग्राम प्रधान: ग्राम प्रधान छलकु नगेसिया बताते हैं कि तीन पीढ़ी से उनके पूर्वज सुखन बूढ़ा, भुखला बूढ़ा, चुटिया बूढ़ा, पौलूस मास्टर ने काम के बदले अनाज योजना से हर्रा बांध और हगरी बांध का निर्माण किया था. लेकिन कुछ समय बीतने के साथ पूर्वजों के द्वारा निर्मित बांध टूट गया. जिसे मिल कर दुरुस्त किया गया. उन्होंने कहा कि अपने पूर्वजों के बताये मार्ग पर चलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. गांव के लोग अपनी मेहनत से स्वयं खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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