नावाडीह. नावाडीह प्रखंड के खरपिटो में सर्पों की देवी मां मनसा की पूजा 176 वर्षों से की जा रही है. पूजा को लेकर गांव में उत्सव जैसी माहौल होता है. इस वर्ष बुधवार को संयोत के साथ पूजा शुरू होगी. गुरुवार को दिन भर उपवास कर आधी रात में पूजा की जायेगी. शुक्रवार की अहले सुबह बकरा, बतख व कबूतर की बली दी जायेगी. लगभग 300 बकराें ,100 कबूतरों व 50 बतखों की बली दी जाती है. ग्रामीणों का मनाना है कि मां मनसा दंपतियों की संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी करती हैं. मुख्य पुजारी छक्कन साव ने बताया कि गांव के गणेश पंडित, कनीय गोठयत, हरदयाल महतो व तुलाराम महतो ने मां मनसा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का निर्णय लिया. बाद में चोपाई नगर के राजा चांद ने पूजा पर रोक लगा दी, क्योंकि व शिव भक्त थे. इसके कारण मां मनसा की लगभग दस वर्षो तक पूजा नहीं हुई. इसी बीच मां मनसा के प्रकोप के कारण राजा चांद के सात पुत्रों में से छह की असमय मृत्यू हो गयी. इसके बाद मां मनसा ने सपना दिया तब राज चांद, रानी सोनिका, पुत्र लखीदर व पुत्रवधु बेहुला ने आकर मां मनसा की विधिवत पूजा कर बकरे की बली दी. तब से यहां मां मनसा की पूजा फिर से की जाने लगी. पुजारी ने बताया कि यहां पूर्व में मां मनसा, मां लखी व मां सरस्वती की प्रतिमा बना कर पूजा की जाती थी. रोक के बाद पूजा शुरू की तो राजा चांद, रानी सोनिका, पुत्र लखीदर व पुत्रवधु बहुला की भी प्रतिमाएं स्थापित की जाने लगी. ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 150 वर्षों तक गणेश पंडित के खपरैल मकान में पूजा की जाती रही. वर्ष 1997 में ग्रामीणों ने बैठक कर मंडप को भव्य रूप देने का निर्णय लिया. पूरे गांव में चंदा कर भव्य मंडप का निर्माण किया गया. पिछले वर्ष स्थानीय मुखिया मुखिया नंदलाल नायक ने निजी मद से मंडप की सौंदर्यीकरण कराया. इस वर्ष मुखिया ने मंडप में टाइल्स और मार्बल लगवाया. इस वर्ष पूजा के आयोजन को लेकर मुखिया नंदलाल नायक, पंसस डीलेश्वर महतो, वार्ड सदस्य नीलकंठ नायक, हीरालाल साव, डिग्री काॅलेज के प्राचार्य चंद्रिका महतो, खिरू महतो, गोपाल महतो, मेधु तुरी, अन्तु रविदास, भीम नायक, खेमलाल महतो, जागेश्वर पंडित, हीरालाल तुरी, ईश्वर साव, बधु पंडित आदि लगे हैं.
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