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साक्षरता से खुलते हैं विकास के तमाम रास्ते: प्रज्ञा कुमारी

अपने कार्यों का बेहतर तरीके से करें निर्वहन

महिलाओं को केवल साक्षर नहीं, बल्कि तमाम कल्याणकारी योजनाओं की दी जाती है जानकारी टोला सेवक व तालीमी मरकज अपने कार्यों का बेहतर तरीके से करें निर्वहन फोटो-1a -प्रज्ञा कुमारी डीपीओ साक्षरता अररिया. प्रतिनिधि, अररिया पत्ता पत्ता अक्षर होगा अपना अररिया साक्षर होगा. पढ़ेगी रजिया पढ़ेगा हरिया साक्षर होगा जिला अररिया. ये कुछ ऐसे नारे हैं जो आज से दो दशक पूर्व जब अररिया में साक्षरता अभियान शुरू हुआ था. उस समय अररिया के तमाम प्रशासनिक पदाधिकारी, जन-प्रतिनिधि व साक्षरता कर्मी के अलावा अररिया के तमाम लोगों की जुबान पर ही नहीं बल्कि अररिया की फिजा में गूंजता रहता था.अररिया से निरक्षरता रूपी कलंक को मिटाने के लिए रेणु की धरती पर लोगों ने चौथी कसम खाई थी. साक्षरता अभियान चलने के बाद अररिया जो कभी बिहार का सबसे अशिक्षित जिला माना जाता था. आज शिक्षा व साक्षरता के मामले में काफी तेजी से आगे बढ़ा है. साक्षरता अभियान की नई जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुश्री प्रज्ञा कुमारी ने जब अररिया साक्षरता की कमान संभाली है. तब से साक्षरता के एक नए युग की मानो शुरुआत हुई है. डीपीओ साक्षरता सुश्री प्रज्ञा कुमारी ने पदभार ग्रहण करते ही जिला को पूर्ण साक्षर करने का संकल्प लिया है. उन्होंने कहा की जिला पर लगा निरक्षरता रूपी कलंक को समाप्त करने में सब को मिलकर सामूहिक प्रयास करने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा की सभी टोला सेवक व तालीमी मरकज सरकार द्वारा दिए गए कार्यों को ईमानदारी से पूरा करें. उन्होंने कहा जो लोग कार्यों के प्रति लापरवाही बरतेंगे वैसे लोगों पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. सुश्री प्रज्ञा ने बताया की साक्षरता एक ऐसा मार्ग है जहां से चलकर विकास के तमाम रास्ते खुलते हैं. उन्होंने सभी शिक्षा सेवक से कहा की आप लोग अपने अपने केंद्र पर बच्चों व महिलाओं को न केवल साक्षर करें. बल्कि उन्हें विकास योजना से भी जोड़ें ताकि वो सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजना का लाभ उठाकर विकास की मुख्य धारा से जुड़ सके. साक्षरता कार्यक्रम एक जागरूकता अभियान भी है. साक्षरता के माध्यम से हमारी असाक्षर महिलाएं सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक व राजनीतिक तोड़ पर सबल हो सके. मालूम हो कि अररिया जिला के सभी नौ प्रखंडों में कुल एक हजार शिक्षा सेवक कार्यरत हैं. जो अपने अपने स्कूल के पोषक क्षेत्र के कमजोर बच्चों को कोचिंग व 15 साल से अधिक उम्र की असाक्षार महिला को साक्षर करने का काम करते हैं.

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