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फ्री एजुकेशन से संबंधित बच्चों का निजी स्कूल में नामांकन मामला लंबित

वर्तमान शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ काल से ही शुरू फ्री एजुकेशन से संबंधित बच्चों का प्राइवेट स्कूल में नामांकन मामला अभी तक लंबित है और प्रगति की रफ्तार भी काफी धीमी पड़ी है.

लखीसराय. वर्तमान शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ काल से ही शुरू फ्री एजुकेशन से संबंधित बच्चों का प्राइवेट स्कूल में नामांकन मामला अभी तक लंबित है और प्रगति की रफ्तार भी काफी धीमी पड़ी है. निजी स्कूलों पर दबाव का भी असर नहीं हो रहा. शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद निजी स्कूलों ने शिक्षा के अधिकार के तहत आरक्षित 25 फीसदी सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों का दाखिला नहीं ले रहे हैं. जिले भर के निजी स्कूलों की बात करें तो कक्षा एक में मात्र 33 फीसदी ही बच्चे नामांकित हो पायें हैं. यानी अभी तक 40 फीसदी का भी आंकड़ा स्कूलों ने पार नहीं किया है. जबकि 16 अगस्त को ही दाखिले की अंतिम तिथि निर्धारित कर रखा गया था. अधिकांश आवेदन अभी भी विद्यालय स्तर पर या बीइओ के पास पेंडिंग पड़ा हुआ है जबकि 38 आवेदन रद्द किया गया है. बिहार शिक्षा परियोजना के संभाग प्रभारी अतिकुर रहमान से मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए दो चरणों में 604 प्राप्त आवेदन में जिला स्तर पर 595 आवेदन स्वीकृत कर विद्यालयों को आवंटित किया गया था. जिसमें से अब तक 193 आवेदन पर मुकम्मल कार्रवाई की जानकारी मिली है.

विद्यालय स्तर पर 29 मामले रिजेक्ट, 55 अभी भी पेंडिंग

बता दें कि शिक्षा के अधिकार के तहत इस जिले में 132 स्कूल पंजीकृत हैं. नामांकन प्रक्रिया जून माह से ही प्रारंभ होकर अभी तक लंबित रहकर लय भी नहीं पकड़ पाया है. प्रथम चरण में 132 प्राइवेट स्कूल में नामांकन को लेकर 367 बच्चों के लिए मिले आवेदन में जिला स्तर पर 362 को स्वीकृति प्रदान कर विद्यालय बार आवंटन देकर भेजा गया. जिसमें से विद्यालय स्तर पर ही 29 को रिजेक्ट कर दिया गया है जबकि 55 अभी भी पेंडिंग पड़ा हुआ है. इधर, विद्यालय द्वारा भेजे गये संबंधित बीडीओ को वेरिफिकेशन के लिए 279 आवेदन में से सात रिजेक्ट कर 164 को स्वीकृति प्रदान किया गया है. जबकि अभी तक 108 आवेदन लंबित पड़ा हुआ है. जबकि 142 को विभिन्न विद्यालयों को नामांकन लेने को लेकर भेज दिया गया है. इसी तरह सात अगस्त को द्वितीय चरण में मांगे गये आवेदन के आलोक में 237 प्राप्त आवेदन में से जिला स्तर पर 232 को स्वीकृति प्रदान कर रेंडमाइजेशन के माध्यम से विद्यालयों को आवंटित किया गया. जिसमें से विद्यालय के माध्यम से दो अस्वीकृत किया गया है जबकि 77 पेंडिंग है और 153 को स्वीकृति प्रदान कर प्रखंड विकास पदाधिकारी को भेजा गया है. जबकि प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा 77 को स्वीकृत करते हुए 51 आवेदन विद्यालयों को नामांकन के लिए भेजा गया हैं.इस तरह दोनों चरण में 604 प्राप्त आवेदन में जिला स्तर पर स्वीकृत 595 आवेदन पर कार्रवाई की प्रक्रिया काफी धीमी है. प्रथम चरण की समाप्ति के बाद द्वितीय चरण को लेकर 22 जुलाई से 30 जुलाई तक मांगी गयी आवेदन के समय सीमा को बढ़ाकर छह अगस्त तक विस्तारित किया गया था. इस तरह 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक के बीच में प्राप्त आवेदनों में स्वीकृत 232 आवेदनों का रेंडमाइजेशन के माध्यम से विद्यालय का चयन किया गया. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि सभी विद्यालयों को इन बच्चों के एडमिशन को लेकर निर्देशित कर दिया गया है.

ज्ञानदीप पोर्टल पर जानकारी नहीं देने वाले निजी स्कूलों की संबद्धता होगी रद्द

शिक्षा विभाग आरटीई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का नामांकन नहीं लेने वाले निजी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा ज्ञान दीप पोर्टल पर अलाभकारी एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन के लिए मेधा सूची पहले ही जारी की जा चुकी है. इस सूची में लखीसराय जिले से दो चरण में 132 विद्यालयों के लिए 595 बच्चों का नाम शामिल किया है. शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि निजी विद्यालयों द्वारा सहयोग न किये जाने पर आवश्यक कार्रवाई किया जाय. जिला शिक्षा पदाधिकारी यदुवंश राम द्वारा संबंधित पदाधिकारी को निजी विद्यालयों में नामांकन की सूचना ज्ञानदीप पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया हुआ है. जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार कई निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के नामांकन लेने मामले में असहयोग करने की जानकारी मिली है. ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है. जांच में निजी स्कूलों की लापरवाही सही पायी गयी तो उनकी संबद्धता रद्द कर दी जायेगी.

ज्ञानदीप पोर्टल नहीं खुलने से भी हो रही परेशानी

इंडिपेंडेंट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव रंजीत कुमार ने कहा कि ज्ञानदीप पोर्टल में भी कई तरह की त्रुटियां रहने से भी परेशानी हो रही है. विभाग की ओर से बच्चों के आधार अपलोड करने के लिए कहा गया है, जबकि हकीकत यह है कि बच्चों के आधार बनाने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि आरटीई के तहत नामांकन लेने वाले बच्चों की निर्धारित राशि वर्ष 2019-2020 से ही बकाया है.जिसके कारण भी निजी विद्यालय संचालक इसमें रूचि नहीं लेते हैं.

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