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बंद समर्थकों ने चक्का जाम कर किया उग्र आंदोलन

बुधवार को जिलेभर में भारत बंद का असर दिखा. सुबह आठ बजे से शाम के चार बजे तक शहर आंदोलन की जद में रहा. बंद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर सबसे पहले चक्का जाम किया और परिचालन ठप करा दिया, इसके बाद लाठी-डंडे लेकर पहुंचे समर्थकों ने दुकानें बंद करानी शुरू कर दी.

गोपालगंज. बुधवार को जिलेभर में भारत बंद का असर दिखा. सुबह आठ बजे से शाम के चार बजे तक शहर आंदोलन की जद में रहा. बंद समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर सबसे पहले चक्का जाम किया और परिचालन ठप करा दिया, इसके बाद लाठी-डंडे लेकर पहुंचे समर्थकों ने दुकानें बंद करानी शुरू कर दी. आंबेडकर चौक से शुरू हुआ आंदोलन अरार मोड़ के पास जाकर समाप्त हुआ. आंदोलनकारियों ने आंबेडकर चौक से लेकर घोष मोड़, पुरानी चौक से लेकर मेन रोड, मौन चौक से लेकर थाना मोड़, डाकघर चौक से लेकर बंजारी और आंबेडकर चौक तक दुकानें बंद करायीं. दोपहर होने पर बंद समर्थक एनएच-27 पर पहुंच गये. टायर जलाकर आगजनी करते हुए नेशनल हाइवे को जाम कर दिया गया. हाइवे पर वाहनों का परिचालन पूरी तरह से ठप हो गया. नेशनल हाइवे पर परिचालन ठप होने से लंबी दूरी की गाड़ियों को परेशानी हुई. वहीं, कच्चा माल लेकर जाने वाले वाहन मालिकों और व्यवसायियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. दूध, डेयरी, सब्जियां और फल-फ्रूट की गाड़ियां जाम में फंसी रहीं. आंदोलन के दौरान आगे-आगे बंद समर्थक और पीछे-पीछे पुलिस की गाड़ियां दौड़ती रहीं. आंदोलन से व्यवसायियों के साथ-साथ आम लोगों को परेशानी हुई. भारत बंद की वजह से व्यवसायियों को आर्थिक रूप से नुकसान का सामना करना पड़ा. इधर, बंद समर्थकों का नेतृत्व कर रहे मनोज रजक, रंजय पासवान, राजा पासवान ने कहा कि संवैधानिक दायरे में रहते हुए आंदोलन को सफल बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों के वर्गीकरण के खिलाफ आंदोलन किया गया था. उन्होंने कहा कि आंदोलन में एससी-एसटी के अलावा ओबीसी वर्ग का भी समर्थन मिला है. आंदोलन में बड़ी संख्या में महिलाएं और छात्राएं भी जागरूक होकर उतरी हुईं थीं. डीजे से निकल रही थीं रैलियां : शहर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज के लोग रैली निकालने के बाद आंबेडकर चौक पर एकत्रित हो गये. डीजे और नीले झंडे के साथ एससी-एसटी समाज के लोगों ने दुकानों को बंद कराने का ऐलान किया, जिसके बाद उनके समर्थक दुकानों को जबरन बंद कराने लगे. आंदोलनकारियों के आक्रोश को देख धड़ाधड़ दुकानों के शटर गिरने लगे थे. यह भी जानिये, क्यों हो रहा आंदोलन सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं. कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं, उदाहरण के लिए – सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले. ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं. इन लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती हैं. इसके विरोध में एससी-एसटी समाज ने भारत बंद का ऐलान किया था. वहीं भारत बंद के दौरान सड़क पर उतरे बंद समर्थकों की कई जगह गुंडागर्दी देखने को मिली. बंद समर्थकों की वजह से छात्रों से भरी एक स्कूल बस में आग लगने से बाल-बाल बच गया. वहीं, स्कूल से बच्चों को लेकर घर लौटी रहीं महिलाओं और अभिभावकों से बदसलूकी की गयी. नगर थाना क्षेत्र के अरार मोड़ के पास पूरी घटना हुई. वीडियो सामने आने के बाद एसपी स्वर्ण प्रभात ने एफआइआर दर्ज कर उपद्रवियों को जेल भेजने का निर्देश दिया. बताया जाता है कि भारत बंद को लेकर आंदोलनकारी सड़क पर उतरे हुए थे. आंदोलन को देखते हुए कई निजी स्कूलों ने बंद कर दिया था, लेकिन कुछ विद्यालय खुले हुए थे. अपराह्न में स्कूलों की छुट्टी होने के बाद बस और अन्य स्कूल वाहन से छात्र जब घर लौटने लगे, तो आंदोलनकारियों ने घेर लिया. अरार मोड़ के पास स्कूल वाहन को जाने से रोक दिया. वाहन जहां पर रोकी गया, उसके नीचे आंदोलनकारियों द्वारा टायर से जलायी गयी आग जल रही थी, इससे बड़ा हादसा हो सकता था. वहीं, दूसरी ओर एक बाइक से महिला जा रही थी, उसे आंदोलनकारियों ने पहले रोका, फिर बदसलूकी की, उसके बाद किसी तरह से महिला और बाइक चला रहे पुरुष सदस्य आंदोलन की जद से बाहर निकले. इस तरह से भारत बंद की वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. हालांकि प्रशासन की ओर से कई अधिकारी मौजूद थे, लेकिन कार्रवाई या आंदोलनकारियों को रोकने में विफल नजर आ रहे थे.

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