गांडेय.
एकीकृत बिहार में महाजनी प्रथा व सूदखोरी के खिलाफ दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ किशुन मरांडी आंदोलन को गति दे रहे थे. आंदोलन का स्वरूप देख जमींदारों व सूदखोरों की नींद हराम हो गयी थी. इसी बीच अलग झारखंड का आंदोलन शुरू हुआ. इसमें गुरुजी के साथ वे कदम से कदम किशुन मरांडी चले. इस बीच वह कई बार जेल भी गये. 22 अगस्त 1995 को एक साजिश की तहत उनकी हत्या कर दी गयी.गरीबों के मसीहा थे शहीद किशुन मरांडी
शहीद किशुन मरांडी की पत्नी बबली मरांडी ने बताया कि उनके पति 1972 से जमींदारी प्रथा, महाजनी प्रथा व सूदखोरी के खिलाफ दिशोम गुरु शिबू सोरेन के साथ आंदोलन कर रहे थे. इस बीच झामुमो का गठन हुआ, तो वे गांडेय के प्रखंड अध्यक्ष बने. इसी दौरान झारखंड अलग राज्य का आंदोलन शुरू हुआ. आंदोलन के क्रम में वे कई बार जेल भी गये. बताया कि वे हमेशा गरीब की मदद करते थे. गरीबों को पेंशन/लाल कार्ड/इंदिरा आवास दिलाने के लिए वे सदैव संघर्षरत रहे. इसी बीच एक साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गयी. उनके साथी उनकी हत्या के बाद आंदोलन को जारी रखा और अंततः वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य बना.कार्यक्रम में मंत्री व कई विधायक होंगे शामिल
गुरुवार को अहिल्यापुर मोड़ (ताराटांड़) में किशुन मरांडी का 30वां शहादत दिवस मनाया जायेगा. बबली मरांडी ने कहा कि समारोह में राज्य सभा सदस्य डॉ सरफराज अहमद, राज्य अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन, गांडेय विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह समेत झामुमो की जिला व प्रखंड कमेटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद होंगे.(समशुल अंसारी)B
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