कोलकाता.
उच्चतम न्यायालय द्वारा आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की तैनाती के आदेश दिये जाने के एक दिन बाद यानी बुधवार को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के अधिकारियों की एक टीम ने अस्पताल का दौरा किया और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. उक्त टीम में सीआइएसएफ के डीआइजी के प्रताप सिंह और एक एसपी पद के अधिकारी भी थे. वे इस दिन सुबह करीब नौ बजे अस्पताल पहुंचे और वहां की प्रशासनिक भवन में गये. वहां कोलकाता पुलिस व अस्पताल के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. सूत्रों के अनुसार, यह बैठक अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हुई. अधिकारियों ने अस्पताल के अन्य हिस्सों का भी जायजा लिया. अस्पताल दौरे को लेकर सीआइएसएफ के अधिकारियों ने मीडिया के समक्ष कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार किया. उन्होंने बस इतना ही कहा कि वे कुछ विशेष काम के लिए आरजी अस्पताल आये हैं. काम पूरा होने के बाद ही बल की ओर से कोई टिप्पणी की जायेगी.सूत्रों के अनुसार, सीआइएसएफ की ओर से अस्पताल की सुरक्षा को लेकर समीक्षा की जा रही है. मसलन अस्पताल में कहां और कितने सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है. गार्ड कैसा काम करता है. क्या 14 अगस्त की रात (जब उपद्रवियों के समूह ने अस्पताल में तोड़फोड़ की थी) के बाद सुरक्षा बढ़ायी गयी है. सीआइएसएफ अस्पताल की सुरक्षा के विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने में जुटी है. गत नौ अगस्त की सुबह आरजी कर अस्पताल की इमरजेंसी बिल्डिंग के चौथे तल पर सेमिनार हॉल से जूनियर महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. मृतका अस्पताल के चेस्ट डिपार्टमेंट की पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी थी. वह स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गयी. इस घटना का विरोध देशभर में हो रहा है. 14 अगस्त की रात को उपद्रवियों के समूह ने अस्पताल के आपातकालीन विभाग, नर्सिंग स्टेशन और दवा स्टोर में तोड़फोड़ की तथा सीसीटीवी कैमरों को भी नुकसान पहुंचाया. रात के अंधेरे में उपद्रवियों ने अस्पताल के प्रदर्शनकारी डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर हमला कर दिया. अस्पताल में तोड़फोड़ की गयी. इसके बाद से डॉक्टर और मेडिकल के विद्यार्थी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.
इस बीच, गत मंगलवार सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सीआइएसएफ की तैनाती का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा : इस क्रूर घटना और इसके विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद राज्य सरकार से यह अपेक्षा की गयी थी कि वह कानून और व्यवस्था का उल्लंघन रोकने के लिए राज्य मशीनरी की तैनाती सुनिश्चित करेगी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह कदम बहुत जरूरी है, क्योंकि अस्पताल परिसर में हुए अपराध की जांच की जा रही है. हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि राज्य सरकार अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ की घटना से निबटने के लिए कैसे तैयार नहीं थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है