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केएनयू का कुलपति पद प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय ने छोड़ा, मंजूर हुआ इस्तीफा

आखिरकार तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के आंदोलन के आगे विवश हो गये काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) के कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय और बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

प्रतिनिधि, आसनसोल . आखिरकार तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के आंदोलन के आगे विवश हो गये काजी नजरुल विश्वविद्यालय (केएनयू) के कुलपति प्रोफेसर देवाशीष बंद्योपाध्याय और बुधवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इस बार उनका इस्तीफा मंजूर हो गया. इससे पहले नौ जुलाई को उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल कार्यालय को भेजा था लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ और उन्हें कार्य जारी रखने के लिए कहा गया था. प्रोफेसर बंद्योपाध्याय ने बताया कि दूसरे राज्यों से अनेक बेहतर ऑफर मिले हैं, इस ऑफर को कारण बता कर ही उन्होंने अपना इस्तीफा दिया, जो मंजूर हो गया. इससे पहले सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनारस में, फिर लखनऊ में कार्य किया है. बंगाल जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है, बंगाल के प्रति एक लगाव है. फिर यदि मौका मिला, तो बंगाल जरूर आऊंगा. इस बाबत टीएमसीपी के जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने कहा कि कुलपति का इस्तीफा विद्यार्थियों की नैतिक जीत है. कुलपति अदालती कार्रवाई पर हुए खर्च का हिसाब नहीं दे पाये. जो आयेंगे उन्हें यह हिसाब देना होगा. विद्यार्थियों का पैसा उनके विकास पर खर्च होगा, ना कि विश्वविद्यालय के अदालती कार्यों में. गौरतलब है कि केएनयू में आठ जुलाई से टीएमसीपी का आंदोलन चल रहा है. छात्रों के फीस का पैसा विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अदालती कार्रवाई में खर्च करने के मुद्दे के साथ अन्य कुछ विषयों को लेकर वे लोग धरने पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि अदालती कार्रवाई पर खर्च की हुई राशि का हिसाब देना होगा और वह राशि विश्वविद्यालय के फंड में लाना होगा. आंदोलन के तहत कुलपति और रजिस्ट्रार के कार्यालय में ताला जड़ दिया गया. लॉ के छात्रों के काउंसिलिंग के परेशानी होने के कारण उनके अभिभावकों ने रजिस्ट्रार के कार्यालय का ताला तोड़ दिया लेकिन कुलपति के कक्ष का ताला लगा रहा. 29 जुलाई को कुलपति ताला खुलवाकर अपने कार्यालय में घुसे. चार घंटे तक उन्हें उनके कार्यालय में ही घेरकर आंदोलन चला. रूम का बिजली पानी बंद कर दिया गया था. उनका आरोप था कि उनके साथ धक्का-मुक्की हुई, जिसके बाद वे निकल गये. 16 अगस्त को केएनयू के स्थापना दिवस पर कुलपति आये. इस दौरान आंदोलनकारियों ने काफी हंगामा किया. उनके कार को घेर लिया. पुलिस ने रेस्क्यू करके उन्हें निकाला. इसी दौरान एक छात्र को कार से हल्की ठोकर लग गयी. जिसके कारण उनके खिलाफ थाना में शिकायत भी दर्ज हुई.

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