Bihar Land Survey: पटना. बिहार में दाखिल खारिज कराना एक बड़ी समस्या हैं. आवेदक का बिना पक्ष सुने आवेदन को खारिज करने की शिकायत बढ़ती जा रही है. आरोप है कि इसमें अधिकारी और कर्मचारी मनमानी करते हैं. आम धारना हो गई है कि बगैर कुछ लिए दिए दाखिल खारिज नहीं हो सकता है. इन पर लगाम कसने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने अब सख्त कदम उठाया है. अब ऐसे सीओ पर सरकार कार्रवाई करेगी. अपर मुख्य सचिव ने परिमार्जन के नए मॉडयूल पर ही मामलों का निष्पादन करने का आदेश दिया है. इसका पालन नहीं करनेवाले सीओ के अलावा राजस्व कर्मी और राजस्व पदाधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बहुत आ रही हैं शिकायतें
भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया है कि राज्य में भूमि संबंधि समस्याओं को लेकर काफी शिकायतें हैं. जिन अंचलों में दाखिल-खारिज के मामले अधिक संख्या में लंबित हैं या बड़ी संख्या में आवेदनों को रद्द किया गया है. ऐसे सभी अंचलों के जांच की जिम्मेदारी संबंधित डीसीएलआर (भूमि सुधार अपर समाहर्ता) को सौंपी गई है. इसकी रिपोर्ट राजस्व विभाग को भी भेजनी होगी.
सख्त कार्रवाई के निर्देश
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की ओर से यह आदेश जारी किया गया है. उन्होंने राज्य के सभी डीसीएलआर के साथ पटना के गर्दनीबाग स्थित राजस्व निदेशालय के सभागार में समीक्षा की है. इस मौके पर विभागीय सचिव जय सिंह ने सभी डीसीएलआर को ऐसे अंचलों की पहचान कर इनका निरीक्षण करने को कहा है और संबंधित सीओ समेत अन्य दोषी पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा है.
बांका में 50 प्रतिशत आवेदन रद्द
समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि अकेले बांका जिले के चार अंचल ऐसे हैं, जिनमें दाखिल-खारिज के 50 फीसदी से अधिक मामले निरस्त कर दिए गए हैं. इस मामले में बांका डीएम को सचिव ने जांच करने का आदेश दिया गया है. अगर बिना सटीक कारण से आवेदन रद्द किए गए हैं तो संबंधित सीओ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा दरभंगा समेत कुछ अन्य स्थानों का प्रदर्शन काफी खराब पाया गया है. इन सभी के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट भेजने का आदेश संबंधित डीसीएलआर को दिया गया है.
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ई-मापी के मामले में भी देरी करने का आरोप
समीक्षा में पाया गया कि ई-मापी के मामलों को भी पास करने में सीओ के स्तर पर काफी देरी हो रही है. इन आवेदनों को भी बिना कारण रद्द कर दिया जाता है, जबकि ई-मापी के आवेदनों को रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है. इन मामलों की जांच भी डीसीएलआर को करने के लिए कहा गया है. इसमें गड़बड़ी पाए जाने पर सीओ के अलावा संबंधित दोषी पदाधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान जमीन विवाद से जुड़े मामलों का निपटारा कराने के लिए डीसीएलआर स्तर पर लगाए जानेवाले राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन करने को कहा गया है.