छपरा. शहर में कई ऐसे इलाके हैं जहां बिजली के पोल जर्जर हैं. कई जगहों पर 30 से 45 डिग्री तक पोल झुक गये हैं. कई रिहायशी मुहल्ले तथा बाजारों में विभिन्न निर्माण कार्य के दौरान जमीन से पुल का संपर्क कमजोर हो गया. जिसके बाद यह झुकने लगे हैं. कई जगहों पर तो नाला निर्माण के कारण जेसीबी मशीन की ठोकर से पोल क्षतिग्रस्त भी हो गया है. लेकिन इन्हीं क्षतिग्रस्त पोल के सहारे लोगों के घरों तक बिजली की सप्लाइ हो रही है. भीड़भाड़ वाले इलाकों में क्षतिग्रस्त पुल कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं. लेकिन इनके मेंटेनेंस या क्षतिग्रस्त पोल को उक्त स्थान से हटाकर वहां नया पोल लगाने के प्रति विभाग द्वारा उदासीनता बरती जा रही है.
कई जगह पोल पर आपस में उलझे हैं तार :
शहर में कई इलाकों में अभी भी 20 से 25 साल पुराने पोल के सहारे तार गुजर रहे हैं. खासकर सोनारपट्टी, सलेमपुर, साहेबगंज, सरकारी बाजार, मौना, साढ़ा आदि जगहों पर पुराने लोहे के पोल खड़े हैं. कई जगहों पर सड़क किनारे लगे पोल जलजमाव के कारण जंक लग कर खराब हो गये हैं. वहीं अधिकतर रिहायशी इलाकों तथा बाजार में पोल पर लगे तार आपस में उलझे हुए हैं. सोनारपट्टी व सरकारी बाजार के इलाके में अभी भी 20 से अधिक ऐसे पोल हैं. जिस पर मानकों को नजरअंदाज कर वायरिंग दौड़ायी गयी है.पोल व ट्रांसफार्मर के पास नहीं है कोई मानक :
नियमानुसार रिहायशी इलाकों में लगे पोल व ट्रांसफार्मर के पास सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिये. वहीं कोई खतरा न हो इसके लिए चेतावनी बोर्ड लगानी चाहिये. उंचाई जमीन से कम से कम 10 फुट होनी चाहिये. भीड़भाड वाले इलाके में ट्रांसफार्मर व पोल के पास चेतावनी लिखा बोर्ड जरूर लगाना चाहिये साथ ही ट्रांसफार्मर के नीचे और सटकर दुकान, मकान या स्टॉल लगाने पर प्रतिबंध होना चाहिये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है