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कार्रवाई के बावजूद जिले में चल रहे हैं अवैध नर्सिंग होम

जिले में अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं, जहां भोले-भाले गरीब मरीज की जान के साथ सौदा करने का धंधा फल फूल रहा है.

जहानाबाद.

जिले में अवैध नर्सिंग होम और क्लिनिक कुकुरमुत्ते की तरह फैले हुए हैं, जहां भोले-भाले गरीब मरीज की जान के साथ सौदा करने का धंधा फल फूल रहा है. जिले में संसाधन विहीन मकान के दो या तीन कमरों में ही ऐसे नर्सिंग होम क्लीनिक और अस्पताल चलाएं जा रहे हैं. बुधवार को शहर के एक निजी क्लीनिक में जच्चा बच्चा की मौत और फिर उसके बाद जमकर हुए हंगामें के बाद एक बार फिर इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बात की जानकारी देने वाला कोई नहीं है कि उस नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन था अथवा नहीं. नर्सिंग होम पर महिला सेवा सदन लिखा था उसमें ललित सिन्हा संचालक का नाम लिखा था जिसके पास कोई एमबीबीएस या कोई और डिग्री भी नहीं था. जिला स्वास्थ्य समिति की प्रत्येक बैठक में अवैध क्लिनिक, नर्सिंग होम और अस्पताल को सील किए जाने के निर्देश के बावजूद इसका संचालन जिले में धडल्ले से जारी है. किसी भी मरीज की मौत के बाद क्लीनिक अथवा निजी नर्सिंग होम संचालक के डॉक्टर सहित सारे स्टाफ फरार हो जाते हैं. पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिया जाता है उसके बाद मामला आया गया होकर रह जाता है. इससे पहले 19 जुलाई को मामूली सर्दी, खांसी का प्राइवेट क्लीनिक में इलाज कराने पैदल आये 19 माह के बच्चे की इलाज के बाद उसकी स्थिति बिगड़ी और फिर मौत हो गई जिसके बाद हंगामा और रोड जाम किया गया. इससे पहले जनवरी में सदर अस्पताल में पदस्थापित एक चिकित्सक के द्वारा संचालित नर्सिंग होम में गर्भवती महिला की मौत के बाद हंगामा हुआ था. इसके बाद चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी नर्सिंग होम में ताला लगाकर फरार हो गये थे. उसे मामले में आज तक क्या कर्रवाई हुई यह भी बताने वाला कोई नहीं है. जिले में अधिकांश नर्सिंग होम और क्लिनिक दो-तीन कमरों के मकान में चलाए जा रहे थे. अभी भी जिले में बहुत सारे ऐसे अवैध नर्सिंग होम बेरोक-टोक चलाए जा रहे हैं जिनमें से ज्यादातर के पास रजिस्ट्रेशन नहीं है जिनके पास रजिस्ट्रेशन है वह भी दो-तीन कमरे वाले मकान में चलाए जा रहे हैं उनमें भी नर्सिंग होम और और अस्पताल के मानकों का कोई पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसे दो -तीन कमरे के मकान में क्लीनिक अथवा नर्सिंग होम चलाने का रजिस्ट्रेशन कैसे हुआ यह भी जांच के घेरे में है. इन नर्सिंग होम में सरकारी अस्पतालों से बरगला कर मरीजों को दलालों के द्वारा पहुंचाया जाता है और बगैर जरूरत के ही केवल पैसा ऐंठने के लिए गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन ऑपरेशन कर दिया जाता है.

मकान के एक कमरे को घोषित कर देते हैं ऑपरेशन थिएटर :

जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक में ऐसे अवैध नर्सिंग होम धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे हैं. इनमें से ज्यादातर के पास न तो रजिस्ट्रेशन होता है और न ही अस्पताल चलाने का कोई एनओसी. कई क्लिनिक तो बिना रजिस्ट्रेशन के ही एमबीबीएस डॉक्टरों के द्वारा चलाए जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर क्लीनिक झोलाछाप डॉक्टर, कंपाउंडर और नर्सों के द्वारा चलाए जाते हैं. ऐसे अवैध नर्सिंग होम दो या तीन कमरों के मकान में चलाये जाते हैं, जहां एक कमरे को ऑपरेशन थिएटर घोषित कर दिया जाता है. डीएम अलंकृता पांडेय ने ऐसे नर्सिंग होम पर लगातार छापेमारी कर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. गत वर्ष नवंबर माह में शहर के तीन ऐसे अवैध नर्सिंग होम को सील किया गया था जिनमें सदर अस्पताल के निकट ही दो अवैध नर्सिंग होम चलाए जा रहे थे. जबकि एक नर्सिंग होम ऊंटा मोड़ के निकट सील किया गया था. इनमें से किसी के पास नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन नहीं था. इससे शहर के दरधा पुल के निकट आशीर्वाद नर्सिंग होम में छापा मारकर उसे सील किया गया था. यहां तो सारे नियमों और मानक ताख पर रखकर क्लीनिक चलाए जाने का मामला सामने आया था जहां ऑपरेशन थिएटर में इंस्ट्रूमेंट को स्टेरलाइज करने के लिए मशीन तक नहीं थी. ऑपरेशन करने वाले इंस्ट्रूमेंट को स्टोव पर खौलाया जाता था. वूमेन बेस्ट मटेरियल को डिस्पोज करने की जगह डब्बे में फेंका हुआ पाया गया था. जहां न तो कोई चिकित्सक थे और न ही चिकित्सा का रजिस्ट्रेशन, न ही कोई गाइनेकोलॉजिस्ट या जीएनएम. इससे पहले पिछले साल अगस्त में मखदुमपुर में दो अवैध नर्सिंग होम को सील किया गया था. जबकि पिछले साल जून में जहानाबाद शहर में चार अवैध नर्सिंग होम पर छापा मार कर उसे सील किया गया था. जिले में अब तक 12 अवैध नर्सिंग होम को सील किया जा चुका है, बावजूद इसके अभी तक इन अवैध नर्सिंग होम का धंधा नहीं रुक रहा है और इसका संचालन धड़ल्ले से जारी है.

दलालों के माध्यम से बुलाये जाते हैं मरीज :

इन तथाकथित क्लिनिकों और नर्सिंग होम में दलालों के माध्यम से सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों को बुलाया जाता है और उनसे मोटी रकम ऐंठी जाती है. इनमें से थोड़े पैसे उन दलालों को दिया जाता है जो अस्पताल से बहला फुसलाकर मरीज को इन अवैध क्लिनिकों में पहुंचाते हैं. ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब निजी क्लीनिक में मरीज की मौत के बाद उनके परिजनों के पास से सदर अस्पताल का पुर्जा मिला है.

अस्पताल से निजी क्लीनिक में ले गये कई मरीज की हो जाती है मौत :

सूर्यदीप हॉस्पिटल में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद प्रसूता की मौत हुई थी. इसके बाद उसे सील कर दिया गया था. यहां न तो कोई चिकित्सक थे और न ही हॉस्पिटल का कोई रजिस्ट्रेशन था. जनवरी में भी एक गर्भवती महिला की मौत तथा कथित निजी नर्सिंग होम में हो गई थी जिसके बाद हंगामा हुआ था. गत वर्ष नवंबर महीने में ऐसे ही एक अवैध नर्सिंग होम में डिलीवरी के लिए ले आए गए मरीज के एक नवजात की मौत हो गयी थी. जबकि इससे पहले खून चढ़ाने के नाम पर प्राइवेट क्लीनिक में ले जायी गयी, एक महिला की मौत खून चढ़ाने के बाद हो गई थी. इसके बाद उक्त सभी मामलों में उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया था.हंगामे के बाद खुलता है भेद : इससे पहले भी ऐसे कई मामले आए हैं जिसमें सरकारी अस्पतालों से बेहतर इलाज के नाम पर ले जाये गये मरीज या उसके नवजात की इलाज के दौरान मौत हो गयी है. पिछले साल जून महीने में अबॉर्शन कराने के नाम पर संजीवनी निजी नर्सिंग होम में ले जायी गयी एक महिला की मौत हो गयी थी. ऐसे मामलों में परिजनों द्वारा इन प्राइवेट नर्सिंग होम में हंगामा करने के बाद इन तथा कथित नर्सिंग होम और हॉस्पिटल का भेद खुलता है. बाद में नर्सिंग होम संचालक पीड़ित परिवार को रुपए देकर मामले को रफा दफा कर देते हैं. जबकि इस मामले में जिला प्रशासन से लेकर सिविल सर्जन तक के द्वारा सभी पीएचसी प्रभारी को ऐसे नर्सिंग होम का सर्वे कर उसकी रिपोर्ट देने का और उसे पर छापेमारी कर सील करने का निर्देश दिया जा चुका है किंतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अवैध नर्सिंग होम नजर नहीं आता है.

एंबुलेंस चालक अस्पताल के कर्मियों की होती है अहम भूमिका :

सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को निजी क्लीनिक और अस्पतालों में ले जाने में एएनएम, आशा, ममता और एंबुलेंस चालकों की अहम भूमिका होती है. निजी क्लीनिक संचालकों से इनकी सांठगांठ रहती है और इसके एवज में ये लोग मोटी रकम लेते हैं. आशीर्वाद नर्सिंग होम में छापे के बाद वहां मरीज को पहुंचने में आशा की भूमिका सामने आई थी. इससे पहले भी काको में एएनएम, रतनी में आशा और ममता तथा जहानाबाद में एंबुलेंस चालक और आशा ममता पर इसका आरोप लग चुके हैं.

दलालों के माध्यम से ढोए जाते हैं मरीज :

निजी क्लीनिक के दलाल अस्पताल में भर्ती किसी सीरियस मरीज के परिजन से मिलकर उन्हें सस्ते में बेहतर इलाज का झांसा देकर क्लीनिक में चलने को राजी कर लेते हैं. उसके बाद निजी एंबुलेंस पर लाद कर उन्हें किसी खास निजी क्लीनिक में पहुंचा दिया जाता है. पिछले साल ही अगस्त में सदर अस्पताल में ऐसा ही एक वाकया सामने आया जब निजी एंबुलेंस चालक द्वारा अस्पताल में भर्ती मरीज को उठाकर निजी क्लिनिक में ले जाया गया था.

रात में नहीं रहती है लेडी डॉक्टर :

जिले के सरकारी अस्पतालों के लेबर रूम में रात के वक्त ड्यूटी पर ज्यादातर लेडी डॉक्टर अनुपलब्ध रहती हैं. ऐसे में डिलेवरी की सारी जिम्मेदारी नर्सों के ऊपर ही रहता है. इस बीच अगर कोई डिलीवरी की सीरियस मरीज आ जाए या पहले से भर्ती किसी मरीज की हालत सीरियस हो जाए और उसे सिजेरियन ऑपरेशन की जरूरत हो तो ऐसे मरीजों को बगैर डॉक्टर के अस्पताल से भरमा कर निजी क्लीनिक में ले जाना बहुत आसान होता है.

बगैर रजिस्ट्रेशन वाले नर्सिंग होम पर नकेल कसने का डीएम ने दिया है निर्देश :

डीएम अलंकृता पांडेय ने जिला स्वास्थ्य समिति की कई बैठकों में सिविल सर्जन को जिले में बगैर रजिस्ट्रेशन के चलाये जा रहे सभी निजी क्लीनिक को सील करने का निर्देश दिया है. इसके लिए उन्होंने लगातार छापेमारी अभियान चलाने का आदेश जारी किया है. निर्देश है कि कोई भी नर्सिंग होम या निजी क्लिनिक बगैर रजिस्ट्रेशन का नहीं चलेगा. इसके अलावा जिले में फीमेल सेक्स के गिरते रेशियों को देखते हुए भी डीएम ने सभी रजिस्टर्ड निजी नर्सिंग होम और प्राइवेट क्लीनिक में डिलीवरी सिजेरियन और बच्चों के जन्म का पूरा ब्यौरा स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराने का निर्देश जारी करते हुए इसके लिए सिविल सर्जन को आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है. पूरे जिले में 65 निजी क्लीनिक और प्राइवेट अस्पताल ही रजिस्टर्ड हैं, किंतु इन नर्सिंग होम और हॉस्पिटल में भी गर्भवती महिला अथवा प्रसूता की मौत और हंगामा के बाद मामला सामने आता है कि तथाकथित रजिस्टर्ड नर्सिंग होम दो से तीन कमरों में चलाया जा रहा था, जहां न तो प्रशिक्षित जीएनएम होते हैं और न ही प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी. ऑपरेशन के लिए न तो कोई सर्जन होते हैं और न ही कोई एनेस्थेटिक. डीएम ने सिविल सर्जन को एक कमेटी गठित कर जहानाबाद शहर सहित पूरे जिले में चलाए जाने वाले सभी निजी क्लीनिक और अस्पतालों का लेखा-जोखा लेकर उसकी जांच करने और जिन निजी क्लीनिक और अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन नहीं है या निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं चलाये जा रहे हैं, उसे सील करने को कहा है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जनजिले में अवैध और बिना मानक के चलाये जा रहे नर्सिंग होम और हॉस्पिटल के खिलाफ जांच कर उसे सील करने का निर्देश सभी पीएचसी प्रभारी को दिया गया है. रजिस्ट्रेशन लेने वाले नर्सिंग होम में भी मानकों की जांच की जा रही है.डॉ देवेंद्र कुमार, सिविल सर्जन, जहानाबाद

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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