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प्रगतिशील नारी का अवतरण छायावादी काव्य का अभिन्न अंग : डॉ एमके सिंह

श्री रामकृष्ण महिला महाविद्यालय, गिरिडीह में गुरुवार को हिंदी विभाग और आइक्यूएसी इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ‘छायावादी काव्य में प्रकृति और नारी’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी.

श्री रामकृष्ण महिला महाविद्यालय, गिरिडीह में गुरुवार को हिंदी विभाग और आइक्यूएसी इकाई के संयुक्त तत्वावधान में ‘छायावादी काव्य में प्रकृति और नारी’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी. प्राचार्या डा मधुश्री सेन सान्याल ने स्वागत वक्तव्य में छायावादी काव्य पर प्रकाश डाला. बतौर मुख्य वक्ता विभावि के मानवीकी संकायाध्यक्ष, कुलानुशासक, छात्र कल्याण विभाग प्रो (डॉ) मिथिलेश कुमार सिंह और वक्ता गिरिडीह कॉलेज, गिरिडीह के हिंदी के प्राध्यापक डा बलभद्र सिंह थे. डॉ मिथिलेश कुमार सिंह ने छायावाद की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि प्रगतिशील नारी का अवतरण छायावादी काव्य का अभिन्न अंग है. इसके संदर्भ में उन्होंने कामायनी, राम की शक्तिपूजा, महादेवी वर्मा की रचनाओं में प्रकृति और नारी की विवेचना की. डा बलभद्र सिंह ने छायावादी काव्य की कविताओं का पाठ करते हुए स्त्री और प्रकृति का विशेष वर्णन किया. कार्यक्रम में प्रो सुनील कुमार, डा कृष्णानंद शर्मा, डा मनीषा रतन होरो, प्रो पूनम प्रभा मुण्डु, डा आतिश रंजन, प्रो नम्रता तिर्की, डा संजीव कुमार सिन्हा, प्रो लक्ष्मण राम, डा ज्योति चौधरी, डा इन्दु कुमारी, प्रदीप कुमार राणा तथा समस्त शिक्षकगण और छात्राएं उपस्थित थे. मंच संचालन प्रो दीपिका कुमारी और आईक्यूएसी की समन्वयक प्रो रेणुका साहु ने किया.

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