रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार व अन्य का पक्ष सुना. इसकेे बाद खंडपीठ ने असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी के लिए अतिरिक्त भवन सहित अन्य आधारभूत संरचना के लिए राज्य सरकार ने 25 करोड रुपये आवंटित किया हैं, जो काफी कम है. वैसी स्थिति में लॉ यूनिवर्सिटी के अतिरिक्त भवन को लेकर डीपीआर बनाने के लिए प्रोजेक्ट के कुल लागत की 10 प्रतिशत राशि भवन निर्माण कॉरपोरेशन को देने के लिए कहां से आयेगी. नया भवन का डीपीआर बनाने के लिए प्रोजेक्ट लागत का 10 प्रतिशत मांगने के मामले में भवन निर्माण कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) को अगली सुनवाई (27 अगस्त) को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. वहीं यूनिवर्सिटी को पर्याप्त साैर ऊर्जा उपलब्ध कराने के बिंदु पर ज्रेडा के प्रस्ताव की स्वीकृति को लेकर सरकार से जवाब मांगा. इस मामले में दो सप्ताह के बाद सुनवाई होगी. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद व अधिवक्ता शाहबाज अख्तर ने पैरवी की. ऊर्जा विभाग की ओर से बताया गया कि साैर ऊर्जा से आपूर्ति हो रही है. विभाग को ज्रेडा नेे बताया है कि अभी वहां 200 किलोवाट की क्षमता और बढ़ता चाहिए. इस पर ज्रेडा ने विभाग से मार्गदर्शन मांगा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बार एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. पूर्व की सुनवाई दौरान सीसीएल, सेल की ओर से बताया गया था कि वह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का अतिरिक्त भवन सीएसआर फंड के तहत बनवा सकता है, लेकिन उसे भवन का प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बना कर दिया जाये.
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