Gita Lessons: महाभारत का युद्ध मैदान, जहां श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद हुआ. यह संवाद अर्जुन को सही मार्ग दिखाने और उसे उसके कर्तव्य की याद दिलाने के लिए था श्री कृष्ण ने अर्जुन को उस कठिन समय में न केवल युद्ध की रणनीति सिखाई, बल्कि जीवन की महत्वपूर्ण बातें भी समझाईं. उनके उपदेश जीवन की चुनौतियों को पार करने, सही मार्ग पर चलने, और सच्ची सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं. इन उपदेशों को समझना और अपनाना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है. इस लेख में, हम श्री कृष्ण के उन पाँच प्रमुख उपदेशों को जानेंगे जो जीवन को सही दिशा देने में सहायक हैं
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
अर्थ: “तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने का है, फलों पर तुम्हारा को अधिकार नहीं. इसलिए, तुम कर्म करो और उनके परिणाम की चिंता मत करो”
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यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः
अर्थ “जो कुछ तुम करते हो, वही दूसरों के लिए उदाहरण बन जाता है. जैसा तुम काम करोगे, वैसे ही लोग भी अनुसरण करेंगे.”
योगः कर्मसु कौशलम्
अर्थ “कर्मों में कुशलता प्राप्त करने के लिए योग यानी अभ्यास और ध्यान आवश्यक है.”
न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषतः
अर्थ: “शरीरधारी व्यक्ति के लिए सभी कर्मों को पूरी तरह से त्यागना संभव नहीं है.”
कर्मेंद्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन
अर्थ “जो व्यक्ति अपने इंद्रियों को नियंत्रित कर अपने मन में कर्मों को सोचता है, वह सच्चा तपस्वी होता है.”
इच्छाद्वेषसमुत्तेन दैवं कर्म समुच्छ्रितम्
अर्थ “जब हम अपनी इच्छाओं और द्वेष को नियंत्रण में रखते हैं, तो हम अच्छे कर्म कर सकते हैं। जैसे अगर आप किसी से नफरत नहीं करेंगे और सही काम करेंगे, तो आपका कर्म भी अच्छा ”
समं पश्यान्सर्वत्र समवस्तितमात्मनम्
अर्थ “जो व्यक्ति हर जगह और हर व्यक्ति में समानता देखता है, वह सच्चा योगी होता है”