सीवान.नगर परिषद में दस वर्ष पूर्व 80.87 लाख अनियमितता का मामला एक बार फिर गरमा गया है. इसको लेकर सरकार ने जवाब मांगा है.नगर विकास एवं आवास विभाग के संयुक्त सचिव आरिफ अहसन ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को अनियमित अग्रिम भुगतान के संबंध में जवाब मांगा है. इस मामले में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा वर्ष 2015- 16 में किये गये ऑडिट के दौरान यह बात सामने आयी थी .नगर परिषद द्वारा एजेंसी को एकरारनामा की शर्तों की अनदेखी करते हुए सोलर लाइट के अनुरक्षण पर अग्रिम राशि के रूप में अनियमित तरीके से 80.87 लाख रुपये का भुगतान करने का आरोप है.इस मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के ऑडिट रिपोर्ट में बात सामने आने पर नगर परिषद से आरोप का जवाब मांगा गया था. इसको लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव ने सितंबर 2021 में में जवाब मांगा था.यह कहा जा रहा है कि पूरा प्रकरण लोक लेखा समिति के समक्ष विचाराधीन है.जिसका अनुपालन प्रतिवेदन लोक लेखा समिति को देना है.एक बार फिर नगर विकास व आवास विभाग के संयुक्त सचिव ने पत्र जारी करते हुए कहा है कि बार बार पत्र भेजकर जवाब मांगने के बावजुद प्रतिवेदन लंबित है.इस बार जवाब न देने पर अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है. यह कहा जा रहा है कि सरकार के इसको लेकर जारी किये गये सख्त पत्र को लेकर नगर परिषद कार्यालय में हड़कंप मच गया है.विभाग के कार्रवाई के जद में दस वर्ष पूर्व यहां तैनात रहे अधिकारी व कर्मचारी से लेकर निर्वाचित जन प्रतिनिधि तक आ सकते हैं. इस बीच नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह ने उक्त कार्यकाल के हाइ मास्ट लाइट व डेकोरेटिव पोल लाइट की खरीद से संबंधित फाइल तलब की है.जिसके आधार पर जवाब तैयार कर शासन को रिपोर्ट भेजी जायेगी.कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा कि पत्र के आलोक में जवाब तैयार कराया जा रहा है.जिसकी रिपोर्ट जल्द ही भेज दी जायेगी. नवंबर 2013 का है अनियमितता का ममला नगर परिषद ने 27 नवंबर 2013 के सशक्त स्थायी समिति की बैठक में शहर के सौंदर्यीकरण व नागरिक सुविधा के मद्देनजर शहर के मुख्य चौराहों के मोड़ पर बिजली सोलर चालित हाइमास्ट लाइट लगाने का फैसला किया था.बाद में यह बात सामने आयी कि डेकोरेटिव पोल लाइट के क्रय का कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ था. 12 मीटर हाइ मास्ट लाईट, 16 मीटर हाई मास्ट लाइट एवं डेकोरेटिव पोल लाईट के क्रय हेतु निविदा निकाली गयी लेकिन उसमें संख्या स्पष्ट नहीं किया गया बल्कि आवश्यकतानुसार क्रय की चर्चा थी. बिना बैठक के प्रस्ताव के रु 1,77,000 की दर से 50 डेकोरेटिव पोल लाइट का क्रय किया गया. जिस पर कुल रु 88,50,000 का व्यय हुआ.इसकी भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक के ऑडिट में नगर परिषद द्वारा एजेंसी को एकरारनामा की शर्तों की अनदेखी करते हुए सोलर लाईट के अनुरक्षण पर अग्रिम राशि के रूप में अनियमित तरीके से 80.87 लाख रुपये का भुगतान करने का मामला सामने आया.
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