गोपालगंज. जिलेभर में जमीन का विशेष सर्वेक्षण शुरू हो गया है. सर्वे से पहले दियारा इलाके के रैयत परेशान हैं. यहां के रैयत किसानों के साथ बड़ी समस्या है. बाढ़ग्रस्त दियारा इलाके के छह प्रखंड कुचायकोट, सदर प्रखंड, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर की 62 ऐसी पंचायतें हैं, जहां के अधिकतर लोगों के पास उनकी जमीन के कागजात नहीं हैं. जमीन पर रैयत का दखल कब्जा है, मकान बने हैं, लेकिन दस्तावेज नहीं है. किसान पंकज सिंह राणा, धर्मराज प्रसाद सिंह, सुरेश दीक्षित, बाबूलाल चौधरी, मृत्युंजय कुमार शर्मा का कहना है कि बाढ़ आने के बाद हजारों परिवार के घर नदी में विलीन हो गये. किसी तरह से जान बची, लेकिन जमीन के दस्तावेज और सभी कागजात नदी में विलीन हो गये. कटघरवा, मेहंदिया, खाप मकसूदपुर, टेंगराही, मलाही, राजवाही समेत ऐसे कई गांव हैं, जिनका अस्तित्व ही मिट गया है. इन गांव में रैयत किसान सर्वे कैसे करायेंगे. सर्वे करनेवाले जमीन के दस्तावेज मांग रहे हैं. ऐसे में किसानों ने सरकार से निदान निकालने की अपील है. दूसरी सबसे बड़ी परेशानी दाखिल-खारिज कराने को लेकर है. खतियान का नकल निकलवाने, दस्तावेज या दावकृत भूमि दस्तावेज निकलवाने और वंशावली बनाने की होड़ लगी है. जमीन मालिकों के मुताबिक कई दिनों तक अफसरों के कार्यालय का चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. प्रखंडों में लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. किसानों ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की है. सदर प्रखंड, मांझा, कुचायकोट, थावे, फुलवरिया के अंचल कार्यालयों में कागजात को दुरुस्त कराने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. जिलेभर में जमीन सर्वे के लिए शिविर लग रहे हैं. प्रत्येक पंचायत में अलग-अलग तिथियों में आमसभा लग रही है. आप इन शिविरों में जाकर भी आवेदन कर सकते हैं. शिविर में आपको एक फॉर्म दिया जायेगा. इस फॉर्म में आपको अपनी और अपनी जमीन की जानकारी भरनी होगी. इसके साथ ही आपको ऊपर बताये गये दस्तावेज भी जमा करने होंगे. आवेदन करते समय आपको दो मुख्य फॉर्म भरने होंगे. जमीन का विवरण फॉर्म. इस फॉर्म में आपको अपनी जमीन के बारे में पूरी जानकारी जैसे कि जमीन का पता, क्षेत्रफल, खसरा नंबर आदि भरना होगा. दूसरा सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म, इस फॉर्म में आपको यह बताना होगा कि आपके द्वारा दी गयी सारी जानकारी सही है.
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