सैलानियों को झरने के पास जाने पर लगायी गयी रोक, सैकड़ों सैलानी लौटे नवादा/गोविंदपुर. प्रकृति की ताकत के सामने मानव निर्मित व्यवस्था बौनी साबित हो जाती है. इसी प्रकार का कुछ नजारा शुक्रवार को ककोलत जलप्रपात में देखने को मिला. बिहार का कश्मीर कहे जाने वाला इस पर्यटक स्थल को हाल ही में सौंदर्यीकरण कर सैलानियों के लिए खोला गया है. शुक्रवार को तेज बारिश के बाद गिरने वाले जलप्रपात का रौद्र रूप देखने को मिला. बाढ़ के पानी के अचानक बढ़ जाने से प्रचंड रूप से झरने से पानी गिरने लगा. खुशकिस्मती रही कि किसी प्रकार के जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल सुरक्षा को ध्यान में रख सैलानियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है. जानकारी हो कि गुरुवार की देर रात से तेज बारिश हो रही है. इसके कारण ककोलत जलप्रपात में अचानक बाढ़ देखने को मिली. ककोलत जलप्रपात से झरने का पानी काफी रौद्र रूप से गिर रहा था. सैकड़ों पर्यटक मायूस होकर लौटे ककोलत के सौंदर्यीकरण के बाद से आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. सामान्य दिनों में 1200 से 1500 लोग प्रत्येक दिन यहां पहुंच रहे हैं. शनिवार और रविवार को संख्या और भी अधिक हो जाती है. शुक्रवार को भी ककोलत जलप्रपात का आनंद लेने पहुंचे सैकड़ों लोगों को वापस बैरंग लौटना पड़ा. जलप्रपात के रौद्र रूप के सामने सभी व्यवस्था धरी की धरी रह गयी. बचाव के लिए भी रहना होगा सजग शुक्र रहा कि बाढ़ का प्रकोप रात से ही है. यदि यह स्थिति सुबह के समय में होती, तो निश्चित तौर पर कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. निर्माण में बाढ़ को ध्यान में रखकर भी व्यवस्था बनायी गयी है, ताकि बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हो. ककोलत के प्रबंधन से जुड़े लोगों को यहां पर बचाव के उपाय भी करने होंगे. प्रकृति के इस प्रकार के रौद्र रूप के सामने बचाव के उपाय काफी सहायक साबित होंगे. क्या कहते हैं फॉरेस्टर ककोलत जलप्रपात की देखरेख में रहने वाले फॉरेस्टर अरविंद रजक ने बताया कि ककोलत में बाढ़ आने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है. हालांकि, एहतियात के तौर पर सैलानियों के आवागमन पर फिलहाल शुक्रवार को रोक लगा दी गयी.
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