हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम पर भाजपा में मंथन का दौर जारी है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर हुई मैराथन बैठक में चुनावी रणनीति के साथ ही उम्मीदवारों के नाम पर भी विचार किया गया. हरियाणा में उम्मीदवारों के कुछ नाम लगभग तय हो चुके है. रविवार को भाजपा के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पार्टी मुख्यालय में होगी. बैठक में प्रधानमंत्री के भी शामिल होने की संभावना है. इस बैठक में दोनों राज्यों के कुछ उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप दिया जा सकता है. हरियाणा में भाजपा पिछले 10 साल से सत्ता पर काबिज है. पार्टी एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में हैं. पार्टी की ओर से सामाजिक समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. पिछड़े वर्ग से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने के बाद चुनाव से पहले कई तरह की घोषणाओं और विपक्षी दुष्प्रचार का आक्रामक तरीके से जवाब देने की रणनीति के तहत भाजपा को इसका सियासी लाभ हासिल होने की उम्मीद है. पार्टी का मानना है कि राज्य में सरकार के प्रति कोई एंटी इंकम्बेंसी नहीं है, वहीं कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है, जिससे उसे लाभ मिल सकता है.
जम्मू-कश्मीर में जम्मू संभाग पर पार्टी की है विशेष नजर
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद जम्मू-संभाग में सीटों की संख्या बढ़ गयी है. पार्टी ने जम्मू संभाग के लिए विशेष रणनीति बना रही है, जिसके तहत पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी. साथ ही जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने, विकास के कामकाज, सुरक्षा का बेहतर माहौल तैयार करने के मुद्दे को भी उठाएगी. कश्मीर घाटी में पार्टी की नजर छोटे-छोटे दलों और समाज के प्रभावशाली लोगों को साधने की भी है. इसके अलावा पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के परिवारवाद और कुशासन को भी मुख्य मुद्दा बनाएगी. कश्मीरी पंडितों के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति पार्टी के प्रमुख चुनावी मुद्दे हो सकते हैं.