Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई ऐसी बातों का जिक्र किया है, जिसमें मनुष्यों को अपने जीवन में क्या करना चाहिए और क्या नहीं इस बारे में साफ और सटीक शब्दों में बताया गया है, जो जीवन के हर पड़ाव पर मनुष्य का मार्गदर्शन करने के काम करता है. चाणक्य नीति में मनुष्य को कई ऐसे जटिल प्रश्नों का उत्तर मिल जाता है, जिसका उत्तर एक आम मनुष्य के लिए खोज पाना बहुत मुश्किल होता है, इन्हीं कारणों से आचार्य चाणक्य की लोकप्रियता इस सदी में भी लोगों के बीच बनी हुई है. इस लेख में आपको यह बताया जा रहा है कि आचार्य चाणक्य के अनुसार ऐसी कौन-सी तीन चीजें हैं जिससे मनुष्य को कभी-भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए.
अभ्यास
चाणक्य नीति के अनुसार अभ्यास एक ऐसी चीज है, जिससे मनुष्य को कभी-भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि अभ्यास हमेशा मनुष्य को बेहतर बनाती है, इसलिए उनका मानना है कि मनुष्य जिस चीज में भी महारत हासिल करना चाहता है, उसका अभ्यास उसे जारी रखना चाहिए. अगर वो अपने अभ्यास में कोई भी कमी कर देता है तो उससे आगे निकलने वालों को वो मौका दे देता है.
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भगवान का नाम स्मरण करने से
आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति जितना भी भगवान का नाम ले वो कम है, क्योंकि वो ही एक ऐसी सत्ता है जो, इस पूरे ब्रम्हांड को चला रहे हैं और सबके रक्षक है, इसलिए मनुष्यों को जितना हो सके भगवान का नाम लेते रहना चाहिए और कभी भी इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए.
परोपकार
आचार्य चाणक्य का मानना है कि परोपकार एक ऐसी चीज है, जिससे मनुष्य को कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह जीवन हमेशा नहीं रहता है और मनुष्य के जाने के बाद लोग केवल उसे उसके अच्छे कामों के लिए ही याद करते हैं, इसलिए मनुष्य को हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि उससे जितना हो सके वो परोपकार करे और इस अच्छे काम से कभी भी संतुष्ट नहीं हो.
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