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सोनो की मुख्य सड़क पर जलजमाव से बनी तालाब

जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने व सड़क पर गड्ढे के कारण होता है जल जमाव

सोनो. प्रखंड मुख्यालय सोनो की मुख्य सड़कों की हालत इस बरसात में बदतर हो गयी है. सड़कें जल जमाव के कारण तालाब जैसी दिख रही है. जल निकास की व्यवस्था नहीं होने से स्थिति और बिगड़ गयी है. सड़क पर एक फीट से अधिक पानी जमा होने के कारण जहां पैदल चलने वाले राहगीरों को पानी में उतर कर आने जाने की मजबूरी होती है तो वाहन चालकों को भी समस्या हो रही है. खासकर ई रिक्शा, ऑटो, बाइक या अन्य छोटे वाहनों के पानी भरे गड्ढे में पलटने का भय बना रहता है. एनएच 333 जमुई-चकाई मार्ग के सोनो चौक पर बरसात का पानी जमा होने व कीचड़ से स्थिति बेहद खराब है. सोनो चौक से बाजार की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर ग्रामीण बैंक के समीप सड़क तालाब में तब्दील हो गयी है. शुक्रवार को दिन भर हुई बारिश के बाद हालात इतने खराब हो गये थे कि घर और दुकान के भीतर पानी घुस जाने का भय लोगों को सताने लगा था. ग्रामीण बैंक के समीप सड़क में बने बड़े गड्ढे के कारण हुए जल जमाव में तो कई ई रिक्शा और बाइक पलट भी चुकी है. दरअसल सड़क के बीच बने गड्ढे पानी भरे होने के कारण दिखते नहीं हैं, जिससे चालक धोखा खा जाते हैं. छोटे वाहन का पहिया गड्ढे में पड़ते ही वाहन असंतुलित हो जाता है और कई बार पलट जाता है. इतनी परेशानी के बावजूद प्रशासनिक तौर पर न तो गड्ढे भरवाये जा रहे हैं और न संवेदक को मेंटनेंस के तहत गड्ढे भरने को कहा जा रहा है. केवल बरसात के मौसम के खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है. हालांकि इस जगह पर रह रहे लोगों व दुकानदारों को बारिश खत्म होने के बाद भी राहत नहीं मिलेगा, क्योंकि जमे पानी के सूखने पर यहां कीचड़ होगा. इसके सड़ने व दुर्गंध से लोगों का जीना दूभर रहेगा. लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.

वन विभाग की आपत्ति के बाद नाला निर्माण पर लगी थी रोक

लगभग चार-पांच वर्ष पूर्व एनएच 333 जमुई चकाई मुख्य मार्ग में आबादी वाली जगहों पर सड़क के दोनों ओर बड़े नालाें का निर्माण कराया जा रहा था. इसी के तहत सोनो में भी सिंचाई कालोनी की ओर से नाला निर्माण हो रहा था, जिसे झाझा रोड व खैरा रोड की ओर जाना था, लेकिन नाला निर्माण सोनो चौक तक आने से पूर्व ही रोक दिया गया. इसके बाद से आज तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया है. निर्माण एजेंसी ने बताया कि वन विभाग की आपत्ति के बाद नाला निर्माण कार्य पर ग्रहण लग गया था. अब चूंकि नाला आधी दूरी तक ही बना है. इससे नाला से जल निकास भी अवरुद्ध है. जहां नाला बना है, वहां से कुछ दूर आगे नाला का पानी भरकर सड़क पर बहता है. बरसात के समय में तो सड़क पर पानी ही पानी नजर आता है.

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