26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट व इंश्योरेंस के फर्राटा भर रहे खटारा वाहन, लोगों के स्वास्थ्य को कर रहे प्रभावितशहरी एवं ग्रामीण इलाकों के सड़कों पर धड़ल्ले से बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र एवं इंश्योरेंस की खटारा गाड़ियां फर्राटे भरती रहती हैं. इसके लिए जांच के नाम पर परिवहन विभाग कभी-कभी सिर्फ खानापूर्ति करता है, जिससे सड़कों पर दौड़ने वाले खासकर पुरानी वाहनों से निकलने वाली जहरीली धुएं के कारण प्रदूषण बढ़ने से लोगों के बीमार होने का खतरा बढ़ रहा है. हालांकि यातायात पुलिस की कार्रवाई के बाद इसकी संख्या में गिरावट आयी है. परिवहन विभाग एवं यातायात पुलिस के अनुसार नियमित जांच में औसत 20 से 25 फीसदी वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र एवं इंश्योरेंस फेल पाया जाता है. इसके लिए पुलिस वाहन चालकों का चालान काट कर जुर्माना भी वसूलती है. कार्रवाई के बाद भी लोग वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने में शिथिलता बरत रहे हैं. जिला परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में प्रतिदिन हजारों छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन होता है, जिनमें खासकर छोटे वाहनों बाइक, कार आदि की जांच की जाती है, लेकिन बड़े वाहनों बस, ट्रक के प्रदूषण जांच के लिए पुलिस एवं परिवहन विभाग के कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वाहन मालिक एवं चालक धड़ल्ले से बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र के वाहनों का परिचालन कराकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. प्रदूषण जांच केंद्र संचालक भी बिना जांच के ही फोटो खींच कर वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र निर्गत करने में पीछे नहीं हट रहे हैं.

शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के सड़कों पर धड़ल्ले से बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र एवं इंश्योरेंस की खटारा गाड़ियां फर्राटे भरती रहती हैं. इसके लिए जांच के नाम पर परिवहन विभाग कभी-कभी सिर्फ खानापूर्ति करता है, जिससे सड़कों पर दौड़ने वाले खासकर पुरानी वाहनों से निकलने वाली जहरीली धुएं के कारण प्रदूषण बढ़ने से लोगों के बीमार होने का खतरा बढ़ रहा है.

हाजीपुर. शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के सड़कों पर धड़ल्ले से बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र एवं इंश्योरेंस की खटारा गाड़ियां फर्राटे भरती रहती हैं. इसके लिए जांच के नाम पर परिवहन विभाग कभी-कभी सिर्फ खानापूर्ति करता है, जिससे सड़कों पर दौड़ने वाले खासकर पुरानी वाहनों से निकलने वाली जहरीली धुएं के कारण प्रदूषण बढ़ने से लोगों के बीमार होने का खतरा बढ़ रहा है. हालांकि यातायात पुलिस की कार्रवाई के बाद इसकी संख्या में गिरावट आयी है. परिवहन विभाग एवं यातायात पुलिस के अनुसार नियमित जांच में औसत 20 से 25 फीसदी वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र एवं इंश्योरेंस फेल पाया जाता है. इसके लिए पुलिस वाहन चालकों का चालान काट कर जुर्माना भी वसूलती है. कार्रवाई के बाद भी लोग वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाने में शिथिलता बरत रहे हैं. जिला परिवहन विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में प्रतिदिन हजारों छोटे-बड़े वाहनों का परिचालन होता है, जिनमें खासकर छोटे वाहनों बाइक, कार आदि की जांच की जाती है, लेकिन बड़े वाहनों बस, ट्रक के प्रदूषण जांच के लिए पुलिस एवं परिवहन विभाग के कर्मियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वाहन मालिक एवं चालक धड़ल्ले से बिना प्रदूषण प्रमाणपत्र के वाहनों का परिचालन कराकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. प्रदूषण जांच केंद्र संचालक भी बिना जांच के ही फोटो खींच कर वाहनों का प्रदूषण प्रमाणपत्र निर्गत करने में पीछे नहीं हट रहे हैं.शहरी क्षेत्र में एक्यूआइ रहता है सामान्य से अधिक खटारा वाहनों से निकलने वाली धुएं के कारण शहर का एक्यूआइ भी सामान्य से अधिक रहता है. बताया गया कि बारिश होने से वर्तमान में हाजीपुर शहर के एक्यूआइ सामान्य है, लेकिन दो दिन ही बारिश नहीं होने के बाद शहर एवं खास कर इंडस्ट्रियल एरिया का एक्यूआइ सामान्य से अधिक हो जाता है, जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने लगता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें