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जलवायु अनुकूल पांच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर द्वारा आत्मा, पटना के सौजन्य से किसानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

आरा.

कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर द्वारा आत्मा, पटना के सौजन्य से किसानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का मूल उद्देश्य किसानों को जलवायु में हो रहे परिवर्तनों के अनुकूल कृषि में बेहतर उत्पादन लेने की तकनीक की जानकारी देना था. केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉक्टर पीके द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि मौसम में परिवर्तन होना एक सामान्य दूरगामी घटना है और इस पर हमारा नियंत्रण नहीं है, परंतु उसके अनुसार हम अपने कृषि पारिस्थितिकी में परिवर्तन कर अपने लिए अनुकूल वातावरण निर्मित कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले हमें अपने जमीन की स्वास्थ्य पर ध्यान देना है उसके अंदर जैविक कार्बन ,वायु का बेहतर प्रवाह तथा मृदा एवं जल का बेहतर संरक्षण करने के लिए विभिन्न तकनीकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. हम अपने खेतों के मेड को ऊंचा कर मिट्टी तथा जल के बहाव को रोक सकते हैं. खेतों में कृषि अवशेष ज्यादा से ज्यादा मिलाने से जैविक कार्बन का प्रतिशत बढ़ सकता है, हरी खाद एवं वेस्ट डीकंपोजर वर्मी कंपोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर समेकित कृषि प्रणाली से खेतों में आवश्यक उर्वरकों की मात्रा को हम कम कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक शशि भूषण कुमार शशि ने अपने प्रशिक्षण के क्रम में जानकारी दी क कई प्रकार की फसल प्रणालियों है लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है की फसलों को कतार से लगाना जिससे कि उनके अंदर किसी भी प्रकार के आगे के कार्यक्रमों को करने में कोई असुविधा नहीं हो. आप उसका निरीक्षण करने के लिए खेत जाना चाहते हो या फिर रसायनों अथवा तरल ऊर्वरक का प्रयोग करने के लिए अगर आप उसके अंदर प्रवेश करें तो आपको किसी प्रकार की असुविधा न हो. बेहतर यह होता है कि जहां तक संभव हो सब्जी अरहर बाजरा सरसों चना मसूर जैसी फसलों को मेढ़ पर कतार में लगाइए. इसी प्रकार धान की फसल को अगर रोप रहे हैं इनको कतार में लगाना चाहिए. अगर मशीन से लगाने की आवश्यकता है तो जीरो टिलेज ड्रिल मशीन के द्वारा भी धान की सीधी बोआई की जा सकते है. इसमें जल संरक्षण बेहतर होता है पौधे ज्यादा मजबूत होते हैं और उनकी पानी की मांग कम हो जाती है. श्रीमती सुप्रिया वर्मा ने जानकारी दी कि आज के समय में उत्पादन लेना ही कोई बहुत वृहत विषय नहीं है बल्कि उत्पादों का विपणन करना ज्यादा आवश्यक है. इसके लिए भारत सरकार तथा राज्य सरकार के द्वारा फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी बनाने की व्यवस्था है. आप अपने उत्पादों को अपने कंपनी और अपने ब्रांड नाम से बाजार में बेचने का प्रयास करें. इसके लिए सरकार की कई प्रकार की सहायता भी है उनका भी लाभ लेने के लिए संबंधित विभाग से सहयोग लेना आवश्यक होगा. मशीनों के बारे में जानकारी देते हुए इंजीनियर अंकित उपाध्याय ने बताया की कई प्रकार की मशीनें आ गयी है जिससे आज के समय में मानव संसाधन की सीमित उपलब्धता के बाद भी कृषि के कार्यक्रम पिछडेगा नही बल्की इनके मशीनों का प्रयोग कर आप अपने धान एवं लगभग सभी फसलों की सीधी बुवाई कर सकते हैं या फिर धान कापैडी ट्रांसप्लांटर से रोपाई भी कर सकते हैं. इसी प्रकार फसल काट करके उसके पुआल को अलग करने के लिए मशीन हैं. अगर आप पुआल का भंडारण करना चाहते हैं इस कार्य हेतु बंडल बनाने की मशीन भी है जिनकी आज बाजार में बहुत अच्छी मांग आ गई है, साथ में एक हे रैक नाम से एक मशीन आती है जो की बिखरे हुए पुआल को एक जगह एकत्रित कर देती है. डॉ अनिल कुमार यादव ने नवीन प्रबेंडो की जानकारी दी जिनकी सुख रोधी एवं जल जमावरोधी क्षमता ज्यादा है. साथ ही कम दिनों में ज्यादा उत्पादन देने वाले हैं जिनका प्रयोग कर पूरी फसल प्रणाली में समय से हर एक मौसम में फसलों को लगाकर हम ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकते हैं. इसके अलावा कई प्रकार के अंतर्वत्ति फसलें भी हैं जिसके ऊपर भी उनके द्वारा जानकारी दी. समापन के दिन किसानों को प्रमाण पत्र दिया गया और उनके द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में पौधारोपण भी किया गया.

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