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50 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर ही पूरी होगी केआरपी नियुक्ति प्रक्रिया

महादलित, दलित, अल्पसंख्यक व अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत समस्तीपुर में नौ केआरपी (मुख्य साधन सेवी) की बहाली का रास्ता साफ हो गया

समस्तीपुर : महादलित, दलित, अल्पसंख्यक व अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत समस्तीपुर में नौ केआरपी (मुख्य साधन सेवी) की बहाली का रास्ता साफ हो गया है. निदेशक जन शिक्षा-सह-अपर सचिव अनिल कुमार ने रिक्त पदों से संबंधित आरक्षण रोस्टर क्लियरेंस से संबंधित पत्राचार करते हुए बताया है कि सीडब्ल्यूजेसी संख्या 16760/2023 में 20 जून 2024 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया गया है. अभ्यर्थियों की नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी. केआरपी का चयन अनुबंध के आधार पर किया जायेगा. बहाली की प्रक्रिया चयन व सेवाशर्त से संबंधित मार्गदर्शिका 2020 के आधार पर होगी. समस्तीपुर जिले के 11 प्रखंडों में केआरपी तैनात हैं. नौ प्रखंडों में रिक्त पदों पर केआरपी की तैनाती होनी है. केआरपी की बहाली होने से अक्षर आंचल योजना के तहत संचालित उत्थान केन्द्रों व तालीमी मरकज केन्द्रों की मॉनिटरिंग करने में सहूलियत होगी. चयनित केआरपी को 10 हजार रुपये मासिक अनुश्रवण भत्ता दिया जायेगा. शिक्षा विभाग ने इन पदों पर बहाली के लिए 24 फरवरी से 18 मार्च तक ऑनलाइन तरीके से अभ्यर्थियों से आवेदन लिया था.

पटना हाईकोर्ट ने 20 जून को दिया था फैसला

पटना हाईकोर्ट ने 20 जून को बिहार सरकार के आरक्षण सीमा बढ़ाए जाने के फैसले को खारिज कर दिया था. राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एसी एसटी, ओबीसी और इबीसी को 50 फीसदी से बढ़ा कर 65 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया था. इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि रिजर्वेशन इन कैटेगरी की आबादी के बजाय इनके सामाजिक और शिक्षा में पिछड़ेपन पर आधारित होना चाहिए. बिहार सरकार का फैसला संविधान के अनुच्छेद 16(1) और अनुच्छेद 15(1) का उल्लंघन है. अनुच्छेद 16(1) राज्य के तहत किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए समानता का अवसर प्रदान करता है. अनुच्छेद 15(1) किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है.

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