श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर श्रीबंशीधर मंदिर के प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा हो रही है. श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में आचार्य श्रीस्वामी पुण्डरीकाक्षाचार्य वेदांती जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया. कथा में गोवर्धन पर्वत की कृत्रिम आकृति झांकी के माध्यम से दिखायी गयी. भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाये गये. वेदांती जी महाराज ने प्रसंग में बताया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था. उनका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी थी. इससे आक्रोशित इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात करायी. प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया. सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ. उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर धर्म और सत्य की पुन: स्थापना के लिए द्वापर युग में अवतार लिया था. उन्होंने बाल्य अवस्था में ही कालीय नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया, पूतना एवं बकासुर जैसी मायावी शक्तियों का अंत किया. बृज भूमि में आतंक के पर्यायी कंस मामा का वध करके अपने माता-पिता देवकी-वसुदेव और नाना महाराज उग्रसेन को कारागार से मुक्त कराया. उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा में प्रकृति की पूजा का उल्लेख किया गया है.
उपस्थित लोग : इस अवसर पर श्री बंशीधर सूर्य मंदिर ट्रस्ट के प्रधान ट्रस्टी राजेश प्रताप देव, प्रतिष्ठित व्यवसायी बिरेन्द्र प्रसाद कमलापुरी,रामप्रसाद कमलापुरी,मनदीप कमलापुरी, मनीष जायसवाल, उमा शंकर जायसवाल,अमर सिंह,मिक्की जायसवाल, सुजीत लाल अग्रवाल, सुरेश विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा व संतोष कमलापुरी मौजूद थे.
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