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एचआइवी मरीजों को दवा लेने में होती है परेशानी

सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों के बीच भीड़-भाड़ वाले स्थान पर एआरटी होने से एचआइवी मरीजों को दवा लेने में होती परेशानी है.

सीवान. सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों के बीच भीड़-भाड़ वाले स्थान पर एआरटी होने से एचआइवी मरीजों को दवा लेने में होती परेशानी है. विभाग के सभी अधिकारियों को इस बात की जानकारी है कि कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर एचआइवी मरीजों की पहचान एवं गोपनीयता भंग नहीं होनी चाहिए. एंटी रेट्रो थेरेपी सेंटर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है. एआरटी की दवा लेने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से सुबह में ही मरीज आ जाते हैं तथा एआरटी कार्यालय के सामने दवा लेने के लिए लोक लज्जा वश मुंह ढंक कर खड़े रहते है. एआरटी कार्यालय के बगल में अस्पताल प्रशासन द्वारा वेटिंग एरिया बनाया गया है. लेकिन उनकी पहचान न हो सके इसलिए मुंह ढंक कर खड़े रहना ही पसंद करते है. सीवान एआरटी से लगभग तीन हजार से अधिक लोग एचआइवी संक्रमित दवा खाते हैं. प्रतिदिन लगभग डेढ़ सौ मरीज एआरटी सेंटर दवा लेने के लिए आते हैं. स्वास्थ्य कर्मियों को एक मरीज को दवा देने में 10 से 15 मिनट तक लग जाते है.समय इसलिए लगते हैं कि दवा की एंट्री मरीज के आइडी पर रीयल टाइम करनी होती है.कुछ ऐसे भी एचआइवी के मरीज है जो स्थानीय शहर एवं आसपास के रहने वाले है. ऐसे मरीज इस इंतजार में रहते हैं कि कब भीड़ कम हो और वे आसानी से दवा ले लें. कुछ मरीज ऐसे भी है जो दवा लेने के लिए दूसरे व्यक्ति से कार्ड भेज कर दवा मंगाते है. एक बार में मरीजों को दी जाती है एक माह की दवा एआरटी सेंटर में दवा खाने वाले मरीजों को एक बार में एक माह की ही दवा दी जाती है.सीवान एआरटी सेंटर से दवा खाने वाले मरीजों का शुरू में छह माह पर दो बार उसके बाद एक साल पर वायरल लोड जांच कराने के लिए एआरटी सेंटरआना पड़ता है. इस कारण भी प्रतिदिन एचआइवी के मरीज एआरटी सेंटर में अधिक आते है. दो छोटे कमरों में सिमटे सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर में कम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को भी कार्य करने में परेशानी होती है.बगल के जिले छपरा एवं गोपालगंज में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एआरटी सेंटर को सदर अस्पताल से हटकर अलग स्थान पर बनाया गया है.वहां पर आमलोगों का आना जाना कम होने के कारण एचआईवी मरीजों को दवा लेने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. क्या कहते हैं जिम्मेदार मॉडल अस्पताल भवन का निर्माण दिसंबर महीने तक पूरा होने की उम्मीद है. उसके बाद एआरटी सेंटर को दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा जहां मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. डॉ. अनिल कुमार सिंह, जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी सह अधीक्षक सदर अस्पताल

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