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अधिकार के लिए एक मंच पर आकर करें संघर्ष : राजेंद्र प्रसाद

24 वर्षों में नहीं बन सकी स्थानीय नीति व नियोजन नीति

तेली समाज अपने वोट के बल पर सरकार बनवाने की ताकत रखता है. इतनी शक्ति होने के बाद भी तेली समाज संगठित नहीं है. समाज की एकता से ही हित संभव है. उक्त बातें तेली समाज गोड्डा जिला के प्रबुद्ध लोगों को होटल तुसिया इन में संबोधित करते हुए मूलवासी सदान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य राजेंद्र प्रसाद ने कही. कहा कि तेली समाज का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. राजनीतिक चेतना नहीं होने से समाज हाशिये पर है. उन्होंने कहा कि झारखंड में जो समाज संगठित है, उस समाज को राजनीतिक दल अनदेखी नहीं कर पाते हैं. अधिकारों के लिए संगठित और चिंतनशील होना होगा. झारखंड अलग राज्य के आंदोलन में तेली समाज की बड़ी भूमिका रही है. प्रसाद ने कहा कि तेली समाज और ओबीसी को राजनीतिक भागीदारी लेना है, तो संगठित होना होगा. बताया कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य रहते हुए उनके अथक प्रयास से ओबीसी को तमिलनाडु के तर्ज पर 36 से 50% आरक्षण देने की अनुशंसा की है, उसे झारखंड सरकार लागू करे. यह मांग ओबीसी और तेली समाज की ओर से उठाना होगा. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि खतियान आधारित स्थानीय नीति व नियोजन नीति के लिए मूलवासी सदान मोर्चा ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया है. कहा कि जो दल तेली को टिकट देगा, उसी दल को समाज की ओर समर्थन देने की बात कही. इस दौरान डॉ अरुण कुमार, श्रीमती नीलम देवी, डॉ जयप्रकाश साह, तेज नारायण साह, वुल्लान्द साह, रघुनाथ मंडल, गंगाधर मंडल, रामविलास भगत, मुकेश मंडल, जगदीश पूर्वे, समीर आनंद, सुमित कुमार, प्रेम शंकर, राजेश साह, संजय साह, सुमित यादव आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.

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