Places to visit on Janmashtami 2024: सोमवार 26 अगस्त यानी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. इस दिन को श्रद्धालु और पर्यटक श्री कृष्ण से जुड़े स्थानों और मंदिरों में जाकर हर्षोल्लास से मनाते हैं. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और जाप किए जाते हैं.
जन्माष्टमी का त्योहार उत्साह, उमंग और आस्था के साथ धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन गुजरात के द्वारका में पूरे शहर को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के पावन अवसर पर द्वारका के मंदिरों में दर्शन पूजन करने बड़ी संख्या में कृष्ण भक्त पहुंचते हैं.
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द्वारकाधीश मंदिर
द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के दिन का दृश्य अत्यंत मनोरम होता है. इस 5000 साल पुराने प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के वंशज वज्रनाभ ने करवाया था. जन्माष्टमी के दिन श्री द्वारकाधीश मंदिर में भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दिन आधी रात के समय भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है.
श्री द्वारकाधीश मंदिर उसी जगह बना हुआ है जहां प्राचीन काल में भगवान कृष्ण का महल हुआ करता था. जन्माष्टमी के दिन पूरी द्वारका नगरी कृष्णमय नजर आती है.
रुक्मिणी मंदिर
द्वारका में जन्माष्टमी का उत्सव मनाने के लिए आप रुक्मिणी मंदिर भी आ सकते हैं. यह मंदिर भगवान कृष्ण की प्रमुख पत्नी देवी रुक्मणी को समर्पित है. कहा जाता है द्वारका धाम में दर्शन करने आए भक्तों की तीर्थ यात्रा रुक्मिणी मंदिर आए बिना अधूरी होती है.
जन्माष्टमी के दिन रुक्मणी मंदिर में विशेष अनुष्ठान का आयोजन होता है. इस दिन पूरे मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है. रुक्मिणी मंदिर के गर्भ में माता की चतुर्भुजी प्रतिमा स्थापित है. रुक्मिणी मंदिर में माता शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए है.
बेट द्वारका
बेट द्वारका गुजरात के द्वारका नगरी का वो हिस्सा है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण का पारिवारिक घर माना जाता है. यहां जन्माष्टमी का उत्सव उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन बेट द्वारका में दही हांडी का आयोजन किया जाता है. संपूर्ण विश्व से कृष्ण भक्त भगवान कृष्ण के भव्य और आकर्षक जन्मोत्सव का हिस्सा बनने बेट द्वारका पहुंचते हैं. इस दिन बेट द्वारका में दही हांडी के साथ कई पूजन और अनुष्ठान भी किए जाते हैं.
बेट द्वारका तक आने के लिए श्रद्धालुओं को नाव से समुद्र पार करना होता है, जो एक रोमांचक अनुभव होता है. जन्माष्टमी के दिन बेट द्वारका में चारों ओर केवल कृष्ण-कृष्ण का ही नाम सुनाई देता है. इस दिन पूरा वातावरण भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन होता है.
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