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विकेंद्रित अर्थव्यवस्था से आर्थिक समृद्धि का मार्ग सुलभ:पूर्ण देवानंद

आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रांगण में चल रहे आनंद मार्ग प्रचारक संघ किशनगंज क द्वारा दो दिवसीय सेमिनार कार्यक्रम सोमवार को समाप्त हुआ.

ठाकुरगंज .आनंद मार्ग जागृति स्कूल के प्रांगण में चल रहे आनंद मार्ग प्रचारक संघ किशनगंज क द्वारा दो दिवसीय सेमिनार कार्यक्रम सोमवार को समाप्त हुआ. सेमिनार के दूसरे व अंतिम दिन आनंद मार्ग प्रचारक संघ के केंद्रीय कार्यालय से आए हुए केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य पूर्ण देवानंद अवधूत ने समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं पर अपना विचार व्यक्त किए. आचार्य पूर्ण देवानंद अवधूत ने प्रउत प्रणेता प्रभात रंजन सरकार की ओर से विकेंद्रित अर्थव्यवस्था के पांच सिद्धांतों का जिक्र किया. इसमें पहला सिद्धांत कहता है कि एक सामाजिक आर्थिक इकाई के अंदर के सभी प्रकार के संसाधन स्थानीय लोगों द्वारा गठित इकाई से ही संचालित किए जाएंगे. दूसरा सिद्धांत कहता है कि उत्पादन हमेशा मांग या खपत के आधार पर होना चाहिए न कि मुनाफे के आधार पर. तीसरा सिद्धांत कहता है कि प्रत्येक वस्तु या उत्पाद का निर्माण एवं वितरण सहकारी समितियों (कोऑपरेटिव) के माध्यम से होना चाहिए. चौथा सिद्धांत कहता है कि सहकारी समितियों के स्थानीय उद्यमों में सिर्फ स्थानीय युवकों को ही नौकरी प्रदान की जाए और पांचवां सिद्धांत कहता है कि जो वस्तुएं स्थानीय आधार पर नहीं निर्मित की जाती या उगाई जाती, उन वस्तुओं को स्थानीय बाजार से हटा दिया जाए अर्थात आयात ही न किया जाए. इस दौरान जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती ने कहा कि मानव अस्तित्व की रक्षा पर ही मानसिक और आत्मिक विकास निर्भर करता है. इसके लिए सामाजिक, आर्थिक दर्शन पर आधारित सामाजिक आर्थिक परियोजना के माध्यम से विकेंद्रित आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करनी है. जिसमें क्रयशक्ति का संवैधानिक अधिकार देकर सबको रोजगार मुहैया कराना है. जिससे अन्न, वस्त्र शिक्षा, चिकित्सा और आवास की पूर्ति की गारंटी सबों को उपलब्ध कराई जाए. इससे गरीबी सदा के लिए खत्म हो जाएगी. मानव समाज इस व्यथा से मुक्त हो अपना मानसिक और आत्मिक विकास करेगा. इस तरह समाज का सर्वांगीण विकास होगा और यह अध्यात्म आधारित नेतृत्व के माध्यम से होगा.इस कार्यक्रम में आचार्य लीलाधिशानंद अवधूत, अवधूतिका आनंद अनिंदिता आचार्या, जिला भुक्ति प्रधान सुमन भारती मुख्य रूप से मौजुद थे.सेमिनार के आयोजन को सफल बनाने में आनंद मार्ग के प्रकाश मंडल, अजय कुमार सिंह, विद्यानंद यादव, कृष्ण कुमार सिंह, राजेश कुमार, गोपाल मंडल, सतीश सिंह, सरस्वती देवी, लक्ष्मी देवी, चंद्रमाया देवी, मंगला देवी, कमला देवी, देवाशीष बर्मन, विपिन गणेश, भूमिका सिंह आदि ने अपनी महत्ती भूमिका निभाई.

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