बिहारशरीफ. जिला मुख्यालय में बिना लाइसेंस के संचालित चिकन और मटन की दुकानों के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं हुई है. बरसात का सीजन शुरू होते ही संक्रमण तेजी से फैलता है. ऐसे में खुले में मांस-मछली के अवशेष फेंकना खतरनाक साबित हो सकता है. अधिकांश मांस-मछली बिक्रेता दुकान के आस पास ही उससे संबंधित अवशेष फेंक देते हैं. शहर हर चौक-चौराहों पर खुले में मांस-मछली की बिक्री हो रही है, जिसमें अधिकांश बिना लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं. पशु चिकित्सक से जांच के बाद रोगमुक्त पशु के ही मटन व चिकन बेचने का प्रावधान है, जिसकी शुरुआत अब तक नहीं हुई है. प्रशासन की शिथिलता के कारण मटन-चिकन दुकान के आगे काला शीशा लगाने तक की पहल नहीं हुई है. नियमों को ताक पर रखकर चिकन और मटन बेचने वालों की मनमानी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. मुख्य सड़क से लेकर संक्रीर्ण गलियों में खुलेआम मांस-मछली की बिक्री की जाती है, जिससे संक्रमण फैलने की खतर बनी रहती है. मीट- चिकन शॉप में केवल अधिकृत स्टाटर हाउस से लाये गये चेक मीट की ही बिक्री होनी चाहिए. मीट चिकन शॉप के अंदर किसी पशु -पक्षी को मारना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है. मीट-चिकन शॉप में साफ पानी होना चाहिए एवं मांस को सुरक्षित रखने के लिए फ्रीज आदि होना चाहिए, लेकिन अधिकांश मांस-मछली बेचने वाले के पास फ्रीज नहीं होता है, खुले डब्बा में बर्फ रखते हैं और एक ही पानी से पूरे दिन मांस-मछली को साफ करते हैं. मीट-चिकेन शॉप किसी धार्मिक स्थल की बाउंड्री से 50 मीटर दूर, मंदिर के प्रवेश द्वार से 100 मीटर की दूरी पर ही होनी चाहिए. मीट शॉप का लाइसेंस मीट कारोबार से जुड़े सभी तकनीकी तथा प्रशासनिक निर्देशों पर दिया जाता है. मीट- चिकेन शॉप के अंदर पशु-पक्षी के अवशेष जैसे हड्डी, खाल, सिर, आंत नहीं रखा होना चाहिए. मीट शॉप पर किसी जीवित पशु को रखने पर भी प्रतिबंध है. नियम के अनुसार दुकान में मांस काटना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. स्टाटर हाउस में चिकित्सीय जांच के बाद पशु-पक्षियों का मांस काटा जाता है, वहां से दुकानों में मांस बिक्री के लिए जाता है, लेकिन शहर के अधिकतर दुकानों में मांस काटा जाता है.
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