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बच्चों को किट बांटने के बंदरबांट के लिए कौन जिम्मेवार, बच्चे पूछने लगे सवाल

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो और वे भी गैर सरकारी स्कूल या फिर इंग्लिश मीडियम वाले बच्चों की बराबरी कर सकें.

बेगूसराय.

सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक सुधार हो और वे भी गैर सरकारी स्कूल या फिर इंग्लिश मीडियम वाले बच्चों की बराबरी कर सकें. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एफएलएन स्टूडेंट किट बांटने का निर्णय लिया था. वर्ष 2023 में कक्षा 1 से 3 तक बच्चों को किट बांटने के बाद उसके बेहतर परिणाम को देखते हुए इसे विस्तार दिया गया. सरकार ने निर्णय लिया कि वर्ष 2024 में कक्षा 1 से 12वीं तक के बच्चों को यह किट दिया जायेगा. किट देने के लिए एजेंसी तय कर दी गई. एजेंसी ने डिमांड के मुताबिक बीआरसी या ब्लॉक को किट उपलब्ध भी करा दिया लेकिन इसके बाद बंदरबांट हो गई. कहने का मतलब कि बीआरसी को जितना किट मिला उसने उतना स्कूल को नहीं दिया. इसके बाद स्कूल को जितना मिला उसने भी उतने नहीं बांटे. ठेठ भाषा में कहें तो शिक्षकों ने किट बांटने के मामले में ‘मिल-जुलकर खाएं और राजा घर जाएं’ वाली कहावत को सिद्ध किया है.

सप्लाइ पूरी मिलने के बाद भी कम बांटा गया किट :

शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के सभी 18 प्रखंडों से कक्षा 1 से 5 के करीब 1,79,126 विद्यार्थियों के लिए किट की डिमांड एजेंसी टीसीआइएल को भेजी गयी थी. एजेंसी ने 1,79,126 किट की आपूर्ति बीआरसी/ब्लॉक को दी. बीआरसी ने इसमें से विद्यालयों को 1,67,815 किट दिया. विद्यालय ने भी 1,67,815 में से 1,27,210 किट ही बच्चों के बीच बांटे. इसी तरह कक्षा 9 से 10 के बच्चों के लिए 49,918 किट की डिमांड भेजी गयी. एजेंसी ने बीआरसी/ब्लॉक को इतनी की आपूर्ति की. बीआरसी ने 42,918 किट की सप्लाई स्कूलों को दी. स्कूल ने भी इसमें से मात्र 30,599 किट बांटे. यही हाल कक्षा 11 से 12वीं का है. इस वर्ग के बच्चों के लिए 17,416 किट की डिमांड थी. इतनी आपूर्ति मिलने के बाद भी बीआरसी ने 14,559 किट ही विद्यालयों को दिये. विद्यालय ने भी इसमें से 11,311 किट ही बांटे.

कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों के लिए क्या :

अब जब कक्षा 1 से 5 और नौवीं से 12वीं तक बच्चों के किट बांटे जाने लगे तो कक्षा 6 से 8 के बच्चे भी पूछने लगे कि उन्हें किट क्यों नहीं मिल रहा. अभिभावक भी स्कूल पहुंचने लगे, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला. इस बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि कक्षा 6 से 8 के करीब 1,56,881 बच्चों के लिए अब डिमांड भेजी गई है.

विभाग का क्या है तर्क : जिन बच्चों की जानकारी इ-शिक्षा काेष पर, उन्हें ही किट दिया. बच्चों को कम किट दिया गया, के सवाल पर विभाग का तर्क है कि जिन बच्चों की पूरी जानकारी आधार नंबर के साथ इ- शिक्षा कोष पोर्टल पर है उन्हें ही किट दिया जा रहा. मतलब जिन बच्चों की जानकारी इ- शिक्षा कोष पोर्टल पर नहीं है उन्हें किट नहीं मिलेगा. अब यहां भी सवाल उठता है कि फिर जो बच्चे स्कूल जा रहे और वे इ- शिक्षा कोष पोर्टल पर नहीं हैं तो क्या उन्हें किट नहीं मिलेगा. अभिभावक भी इसे लेकर शिक्षकों को खरी खोटी सुना रहे हैं.

शिक्षकों ने भी रास्ता निकाला, जो मिला उसे ही बांट दिया :

अभिभावकों के रोष जताने के बाद शिक्षकों ने भी रास्ता निकाल लिया. उन्हें जितना किट मिला उसे ही सभी के बीच बांटा. जैसे कक्षा 2 के विद्यार्थियों के किट में नौ नोटबुक (3-फोरलाइन, 3- सिंगल लाइन और 3- स्क्वायर लाइन) है. शिक्षकों ने प्रत्येक किट से तीन नोटबुक निकाले और विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब उसे बांट दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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