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रैयती घोषित हुए बिना गैर मजरुआ खास व बकास्त भूमि की हो रही खरीद-बिक्री

रैयती घोषित हुए बिना गैर मजरुआ खास व बकास्त भूमि की हो रही खरीद-बिक्री

प्रतिनिधि, खगड़िया गैर मजरुआ खास, आम, बकास्त, कैसरे हिंद, भू-अर्जित, भूदान आदि जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक के बावजूद उक्त श्रेणी की भूमि की खरीदने-बेचने का सिलसिला लगातार जारी है. आप यह जानकार हैरान हो जाएंगे कि उक्त भूमि के खरीदने तथा बेचने का सिलसिला दो- चार महीना या फिर साल-दो साल नहीं, बल्कि 2015 से लगातार जारी है. इस साल 2024 में भी कई सरकारी भूमि का निबंधन हुआ है. लेकिन ताज्जुब है कि हाकिमों को इसकी जानकारी तक नहीं है. मालूम हो कि शहरी क्षेत्र के साथ- साथ ग्रामीण क्षेत्र के कई मौजा क्रमशः सन्हौली, मथुरापुर, रहीमपुर, जलकौड़ा, तेताराबाद, भदास तथा जहांगीरा मौजा में सरकारी भूमि की खरीद-बिक्री हुई है. हालांकि सन्हौली एवं मथुरापुर में यह संख्या अधिक है. इन दोनों मौजा में दो-ढाई सौ बार गैर मजरुआ खास एवं वकास्त भूमि का 2016-2024 के बीच खरीद-बिक्री हुई है. उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि की बिक्री पर 2014 से रोक है, वर्ष 2014-15 में ही सभी मौजा के गैर मजरूआ आम, खास, वकास्त भूमि की सूची निबंधन कार्यालय को भेज कर यहां के रोक सूची में उसे शामिल करा दिया गया था. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि रोक के बावजूद आखिरकार कैसे बार- बार उक्त किस्म की भूमि को बेचा-खरीदा गया. डीएम के आदेश पर रोकी गई थी सरकारी भूमि का निबंधन जिले के तत्कालीन डीएम राजीव रोशन द्वारा सरकारी भूमि यानि गैर मजरूआ आम, गैर मजरुआ खास, वकास्त मालिक, कैसरे हिंद, भू-अर्जित आदि श्रेणी की भूमि के खरीद-बिक्री पर रोक लगाई गई थी. खगड़िया सहित सभी सातों अंचलों के सीओ ने सरकारी भूमि की सूची पहले ही निबंधन कार्यालय में भेज दी थी. निबंधन कार्यालय में भूमि की जांच के बाद ही जमीन की खरीद-बिक्री होती है. एडीएम के आदेश के बाद होती है खास व वकास्त भूमि का निबंधन रोक सूची में शामिल गैर मजरुआ खास तथा वकास्त भूमि का निबंधन तभी होगा, जब उसे रैयती घोषित किया जाएगा. विक्रेता द्वारा जमीन के प्रर्याप्त साक्ष्य दिये जाने के बाद पहले अपर समाहर्ता के स्तर से जमीन बेचने की संपुष्टि दी जाती थी. लेकिन कुछ वर्षों से जिला स्तर पर अपर समाहर्ता के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा साक्ष्य के आधार लिए गए निर्णय के आलोक में खास/वकास्त भूमि को बेचने की अनुमति दी जाती है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि जिस जमीन की खरीद-बिक्री हुई है, उसे अपर समाहर्ता ने रैयती घोषित नहीं किया है. फिर भी जमीन की बिक्री हो गई. खास एवं वकास्त किस्म की भूमि की होती रही बिक्री सदर अंचल के पूर्व अंचल अधिकारी नौशाद आलम, धीर बालक राय, राजस्व पदाधिकारी संजय कुमार, अंबिका प्रसाद, अरुण कुमार सरोज, राजस्व पदाधिकारी राजन कुमार, वर्तमान सीओ ब्रजेश कुमार पाटिल के कार्यकाल में सरकारी भूमि की खरीद-बिक्री हुई है. कहते हैं अधिकारी अंचल अधिकारी से प्राप्त गैर मजरूआ आम, खास, वकास्त आदि भूमि को रोक सूची में शामिल किया गया है. गहन जांच बाद ही निबंधन कार्यालय में भूमि की खरीद-बिक्री होती है. जिस खेसरा नंबर की जमीन का निबंधन हुआ है, वो रोक सूची में शामिल नहीं है. मात्र दो मौजा में दो सौ अधिक खास व वकास्त भूमि का निबंधन होना आश्चर्य जनक है. जांच बाद ही वे कुछ बता सकेंगे. नवनीत कुमार,अवर निबंधन पदाधिकारी, खगड़िया.

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