संवाददाता, पटना : स्मार्ट सिटी के तहत नवंबर 2022 में शहर के विभिन्न हिस्सों में 32 इ-टॉयलेट इंस्टॉल किये गये थे. लेकिन, रखरखाव के अभाव में एक भी उपयोग के लायक नहीं बचा है. ये शौचालय अब पोस्टर चिपकाने के काम आ रहे हैं. विभिन्न निजी संस्थानों ने अपना विज्ञापन चिपकाया है. वहीं, रखरखाव के अभाव में किसी में गंदगी का अंबार है, तो किसी के क्वाइन बॉक्स से छेड़छाड़ की गयी है. जबकि, लोगों की सहूलियत के लिए बने नौ जनसुविधा केंद्रों के गेट पर ताला लटक रहा है. इसे तैयार करने में करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन, संचालन में पटना स्मार्ट सिटी फेल हो गयी है. साल 2023 से अभी तक विभाग एजेंसी का चयन करने में असमर्थ है.
28 तरह की सुविधा सिर्फ दस्तावेज में :
जन सेवा केंद्रों में करीब 28 तरह की सुविधा मिलने की बात कही गयी है. लेकिन, यह सुविधा सिर्फ दस्तावेज में है. यहां आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जीएसटी सेवा, बिजली बिल, पैन कार्ड, रेलवे टिकट, हवाई टिकट, गैस बुकिंग, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, आवासीय, जाति व आय प्रमाण पत्र, फास्टैग, फसल पंजीकरण, वोटर आइडी, पासपोर्ट, बीमा, आदि की सुविधाएं मिलनी थीं.पांचमाह पहले जल्द सुविधा देने की बात कही गयी थी :
पीएमसी ने दो मार्च को कहा कि जन सुविधा केंद्रों को पटना स्मार्ट सिटी की 29 वीं निदेशक मंडल (बोर्ड) की बैठक में ही नगर निगम को सुपुर्द करने का निर्णय हो चुका है. इसके लिए दर निर्धारण के लिए अनुमंडल को भी पत्र लिखा जा चुका है. जल्द ही इन जन सेवा केंद्रों पर सभी सुविधाएं मिलने लगेंगी.पोस्टर चिपकाने के काम आ रहा इ-टॉयलेट :
शहर में करीब 4.49 करोड़ की लागत से इंस्टॉल हुए 32 इ-टॉयलेट उपयोग के लायक नहीं हैं. यही वजह है कि लगभग सभी यूनिट की स्थिति खराब है. साथ ही बिजली भी बाधित है, इस कारण सेंसर भी बंद हैं. जबकि, शौचालय बनाने वाली कंपनी को पांच साल तक इसके रखरखाव की जिम्मेदारी दी गयी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है