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मुखिया संघ हड़ताल पर

मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन

लोहरदगा. झारखंड प्रदेश मुखिया संघ के निर्देशानुसार लोहरदगा जिला मुखिया संघ ने जिला अध्यक्ष वासुदेव उरांव की अगुवाई में सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं उपायुक्त को ज्ञापन सौंप कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये. मुखियाओं ने कहा है कि आपातकाल को छोड़कर योजना संबंधी कार्य नहीं होंगे. कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा. वासुदेव उरांव ने कहा कि झारखण्ड प्रदेश मुखिया संघ के द्वारा राज्य वित्त आयोग की राशि पंचायत को देने सहित विभिन्न मांगो को लेकर सरकार को 24 जुलाई 2024 एवं 29 जुलाई 2024 को मांग पत्र सौंपा गया था तथा मुख्यमंत्री से मुलाकात एवं वार्ता हेतु 20 अगस्त 2024 को समय मांगा गया. परंतु कोई सुनवाई व सकारात्मक पहल नहीं होने के कारण मुखिया आक्रोशित है. विवश होकर सभी मुखिया अनिश्चितकालीन धरना पर जा रहे हैं. इसकी प्रतिलिपि अनुमंडल पदाधिकारी लोहरदगा को भी सौंपी गयी. उनकी पांच सूत्री मांगों में पंयायती राज वित्त आयोग का राशि शीघ्र पंचायत को देने, ताकि पंचायत गांव की सर्वांगीण विकास हो सके. कार्य अवधि के दौरान किसी भी जन-प्रतिनिधि (मुखिया, पं.स.स., वार्ड सदस्य, प्रमुख एवं जिला परिषद्) की आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना होने पर उचित 30 लाख की मुआवजा की व्यवस्था की जाए ताकि उनका परिवार का भरन- पोषण हो सके. मुखियागणों का मानदेय केरल राज्य के तर्ज पर 30,000 (तीस हजार रूपया) निर्धारित किया जाए. वर्तमान समय में सरकार द्वारा चल रहे मंईयां सम्मान योजना/अबुआ आवास एवं अन्य सरकारी योजना के लिए पंचायत जन-प्रतिनिधियों एवं उनके परिवारजनों (मुखिया, पं.स.स., वार्ड सदस्य, जिला परिषद) को शामिल किया जाए ताकि शत-प्रतिशत योजना का लाभ जनता को मिल सके. जैसे कोई मुखिया या वार्ड सदस्य अत्यन्त गरीब एवं लाल कार्डधारी तथा रोजी-रोजगार के लिए कुली लेबर का कार्य कर रहे है वैसे जन-प्रतिनिधि व उनके परिवार को योजना का लाभ अवश्य मिलना चाहिए. इस बाबत कार्यलय से आदेश हेतु एक पत्र निर्गत किया जाए. झारखंड के सभी पंचायत की मांग है कि बिना जांच किए वित्तीय शक्ति जब्त ना किया जाए, जिससे मुखिया पद का अपमान हो. झारखंड के जिस मुखियाओं का वित्तीय पावर जप्त किया गया है उन्हें पुनः वापस किया जाए.विदित हो कि मांडर प्रखंड के सरवा पंचायत के मुखिया प्रभा किस्पोटा को वित्तीय अनियमितता का झूठा आरोप लगाकर पदच्युत कर दिया गया. जबकि पंचायत विभाग ने सात जुलाई 2024 को एक पत्र मुखिया को दिया है. जिसमें मुखिया को अपना जवाब पक्ष देने के लिए 15 दिनों का समय दिया जाता है. परंतु बिना जवाब दिये ही आनन-फानन में मुखिया प्रभा किस्पोटा को पदच्युत कर दिया गया, जोकि असंवैधानिक है. मुखिया प्रभा किस्पोटा की पदच्युत को पुनः वापस किया जाए. मांगपत्र सौंपने वालों में संरक्षक दिलीप कुमार उरांव, सचिव परमेश्वर महली, अनिल उरांव, सुमित उरांव, धनेश्वरी उरांव, कैली उरांव, सुमित उरांव, बसंत उरांव, सुनील उरांव, टेले उरांव, प्रदीप उरांव, भागवत खेरवार, सुमन उरांव, सुमित्रा उरांव, कमला देवी, ममता कुमारी, राजश्री उरांव सहित जिले के मुखिया शामिल थे.

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