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गोड्डा में महसूस किये गये भूकंप के झटके, 3.9 रही तीब्रता

झूकंप के प्रभावी जोन में है गोड्डा जिला, जन्माष्टमी के बाद हिली धरती

रात के ठीक 12.49 बजे जब सभी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में थे, ठीक उसी समय करीब 12.49 बजे जोरदार आवाज के साथ धरती हिल गयी. रात में लोगों का एहसास हुआ, मगर लोग इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं हो रहे थे कि ये आवाज भूकंप की वजह से है. सुबह के वक्त लोगों के बीच बातचीत के साथ समाचार चैनलों के माध्यम से भूकंप आने की पूरी जानकारी मिली. गोड्डा शहरी क्षेत्र से लेकर आसपास प्रखंडों में भी लोगों ने भूकंप आने की जानकारी दी. शहर के रहने वाले एथलीट पवन कुमार सिंह ने बताया कि रात को पूजापाठ के बाद जब बिस्तर पर आराम कर रहे थे, उसी दौरान उनके हाथ में मोबाइल फोन था. इसी क्रम में जोरदार आवाज के साथ पलंग के हिलने को महसूस किया. इधर भूकंप को लेकर बताया गया कि गोड्डा खासकर राजमहल कोल परियोजना के क्षेत्र से लेकर भागलपुर के कहलगांव से साहेबगंज तक के किनारे का भाग भूकंप के सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र में आता है. गोड्डा कॉलेज के रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉ रंजन कुमार, जिन्होंने राजमहल परियोजना कोल परियोजना क्षेत्र में अपने कई छात्रों को भी रिसर्च कराने का काम किया है, उन्होंने क्षेत्र के बारे में कई जानकारी भी इकट्ठा किया है. डॉ रंजन का मानना है कि राजमहल की पहाड़ी श्रृंखला नयी श्रृंखला है. अन्य की तुलना में नयी यह श्रृंखला अभी शुरूआत के दौर की है. राजमहल की पहाड़ी इससे पहले बिहार में बहने वाली उत्तरवाहिनी गंगा के कछार क्षेत्र से जुड़ा है. राजमहल पहाड़ी भी गंगा के कछार यानि गंगा के प्रवाह के दक्षिण क्षेत्र से आरंभ होकर पूरे संताल परगना व छोटा नागपुर क्षेत्र से गुजरता है. वहीं गंगा के कछार के साथ-साथ पर्वत श्रृंखला के ठीक जुड़ा ललमटिया का राजमहल कोल परियोजना में 40 वर्षों से क्षेत्र में कोयला उत्पादन किया जा रहा है. सैकड़ों फीट गहरी खायी कर ओपेन कोल माइंस वाले परियोजना से कोयले का उत्पादन किया जा रहा है. ऐसा बताया जाता है कि कोयला के उत्पादन के साथ-साथ लगातार पहाड़ों के टूटने की वजह से भी धरती के अंदर टेक्नोटिक मूवमेंट की वजह से अंदर के प्लेटों में टकराहट होती है. ऐसी टकराहट की वजह से ही भूकंप के झटका महसूस होता है. डॉ रंजन ने बताया कि सबसे बड़ी बात व चेतावनी की बात है कि गोड्डा से सटे दुमका के रामगढ़ में इपी केंद्र बनना संताल परगना के लिए आने वाले समय के लिए चेतावनी भरा हो सकता है. सरकार को ऐसे मामले पर पूरी तरह से रिसर्च कर क्षेत्र में लगातार हो रहे चेंजेज पर नजर रखने की जरूरत है.

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