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हाथी के तांडव से घरों को नुकसान

पीड़ित परिवार ने की उचित मुआवजे की मांग, वन विभाग ने दिया आश्वासन

बांकुड़ा. जिले के उत्तर वन प्रभाग के बेलियातोड़ रेंज के कालबेरिया गांव में दो परिवारों के घरों पर हाथी ने हमला कर उन्हें तहस-नहस कर दिया. तांडव मे मिट्टी के घर तबाह हो गये. सोमवार को रातभर हुई बारिश के बाद दोनों असहाय परिवार यह समझ नहीं पा रहे हैं कि अब वे क्या करें. मंगलवार सुबह करीब तीन बजे एक जंगली हाथी पबाया जंगल से निकलकर गांव में घुस आया. उस समय कालबेरिया गांव की रत्ना सेन अपने पति और बच्चे के साथ एस्बेस्टस-फूस की कच्ची दीवार वाले घर में सो रही थी. तभी हाथी ने तांडव चलाया. रत्ना सेन ने कहा कि उन्होंने अपने घर की पूर्वी बालकनी में बकरियों को रखने की व्यवस्था की थी. वहां चार बकरियां थीं. हाथी ने सबसे पहले बालकनी की दीवार तोड़ दी. बकरियां दीवारों से टकरा गयीं. उनकी चीखें सुनकर वे लोग जाग गये. उन्होंने देखा कि एक हाथी बालकनी की दूसरी तरफ की दीवार को धकेल रहा है. बाद ने वह दीवाल भी ढह गयी. कुछ न मिलने पर वह पीछे मुड़ा और उत्तर की ओर की दीवार भी तोड़ दी. उन्हें अपने जीवन का डर सता रहा था और भगवान को वे याद कर रहे थे. कुछ देर बाद हाथी गांव के रिंकू बनर्जी के घर में चला गया. हाथी ने उनके घर का एक हिस्सा भी तोड़ दिया और जंगल के रास्ते चला गया. जाते जाते फसलों को भी नुकसान पहुंचाता गया. रत्ना सेन और रिंकू बनर्जी ने कहा कि उनके सिर की छत को हाथी ने उजाड़ दिया. वन विभाग उनकी असहाय स्थिति पर विचार करे और मृत बकरियों और फसलों के लिए उचित मुआवजा और आश्रय दे. बेलियाटोर रेंज के एक अधिकारी ने बताया कि छह हाथी फिलहाल बारजोड़ा और बेलियाटोड़ रेंज के जंगलों में रह रहे हैं. जिनमें से चार हाथी साउथ सारागढ़ में और दो हाथी पबाया जंगल में हैं. भोजन की तलाश में उन हाथियों ने गांव पर हमला कर दिया. जिनका नुकसान हुआ है उन्हें नियमानुसार मुआवजा दिया जायेगा. हाथियों की समस्या का समाधान करने वाली संस्था संग्रामी गणमंच के जिला सचिव शुभ्रांशु मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने कई बार वन विभाग को सलाह दी है. लेकिन इस पर अमल नहीं हो रहा है. वे चाहते हैं कि वन विभाग मकानों को पहले की तरह बनाये न कि मकानों के टूटने पर मुआवजा दे और बकरियों और फसलों के बाजार मूल्य के अनुसार उचित मुआवजा दे. अन्यथा वे सड़क पर उतरने को विवश होंगे.

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