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समावेशी वित्तीय योजना

जन धन योजना के अंतर्गत एक दशक में 53 करोड़ से अधिक खाते खुले हैं तथा इन खातों में जमा राशि 2.3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित किया है.

Jan Dhan yojana: इस योजना ने भारत की वित्तीय व्यवस्था को समावेशी बनाने में बड़ी भूमिका निभायी है. इस पहल की सफलता इस तथ्य से सिद्ध होती है कि योजना के लाभार्थियों में महिलाओं की संख्या लगभग 30 करोड़ है. बैंकों में खाता खोलने के लिए न्यूनतम जमा राशि समेत अनेक शर्तें होती हैं. इस वजह से पहले वंचित और गरीब समुदायों से आने वाले लोग, विशेषकर महिलाएं, बैंकों में खाता नहीं खोल पाते थे. अगर बैंक या डाकघर में खाता खुल भी जाता था, तो उसे बहाल रखना चुनौतीपूर्ण था. इस योजना में यह प्रावधान किया गया है कि खाते में न्यूनतम राशि रखने की बाध्यता नहीं होगी और जमा राशि पर ब्याज भी मिलेगा. खाताधारकों को रुपे डेबिट कार्ड देने के साथ-साथ दुर्घटना बीमा की भी व्यवस्था है. पहले दुर्घटना बीमा कवर एक लाख रुपये था, जिसे 28 अगस्त 2018 को बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया. योग्य खाताधारकों को 10 हजार रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा भी प्रदान की गयी है.

जन धन योजना के खाताधारक विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं, जैसे- सीधा लाभ हस्तांतरण, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना, मुद्रा ऋण योजना आदि, के लिए भी योग्य हैं. इस योजना से पहले ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में बैंकिंग सुविधा बेहद सीमित थी. जन धन योजना के 66.6 प्रतिशत खाते इन्हीं क्षेत्रों में हैं. खाताधारकों में 55.6 प्रतिशत महिलाओं का होना यह इंगित करता है कि वंचित तबके की स्त्रियों के सशक्तीकरण में योजना ने बड़ा योगदान दिया है.

वित्तीय समावेश के बिना अर्थव्यवस्था को गति दे पाना बेहद मुश्किल है. इसलिए खातों के साथ-साथ डिजिटल भुगतान प्रक्रिया में भी जन धन योजना को जोड़ा गया है. अब तक 36 करोड़ से अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी किये जा चुके हैं. योजना के खाताधारक यूपीआइ की सुविधा का भी लाभ उठा रहे हैं. बीते वित्त वर्ष में इन खाताधारकों ने 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन यूपीआइ से किया था. इस योजना ने करोड़ों लोगों को औपचारिक वित्तीय व्यवस्था से जोड़कर अर्थव्यवस्था को नया आयाम और विस्तार दिया है. जन धन योजना, आधार और मोबाइल (जैम) तथा यूपीआइ की सफलता से उत्साहित होकर रिजर्व बैंक द्वारा अब छोटे कर्ज के लेन-देन के लिए यूपीआइ जैसी सुविधा लायी जा रही है. समावेश और सशक्तीकरण के विभिन्न प्रयासों को एक साथ रख कर देखें, तो स्पष्ट हो जाता है कि करोड़ों गरीबों को राष्ट्रीय जीवन में एक सम्मानजनक स्थान मिला है, जो विकास का एक आधार बना है.

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