Buxar News: बक्सर जिले का पहला बायोगैस प्लांट जिसका भूमि पूजन जिला अधिकारी अंशुल अग्रवाल ने 13 मई 2023 को जगदीशपुर पंचायत के कुलहड़िया गांव में किया था, जो कि शिलान्यास के 19 माह बाद बनकर नहीं हुआ तैयार. यह बायोगैस प्लांट पंचायतों को स्वच्छ बनाने के लिए प्रयास लगातार जिला प्रशासन के द्वारा जारी है. इस क्रम में सदर प्रखंड के जगदीशपुर पंचायत के कुलाडिया गांव में बायोगैस प्लांट की आधारशिला प्रशासनिक तौर पर रखी गयी थी, लेकिन शिलान्यास 19 माह बीत जाने के बाद भी नहीं बनकर तैयार हुआ. जिसको बनाने की जिम्मेदारी आंनद इंजीनियरिंग लखनऊ को दिया गया था. प्लांट को 90 दिन में बनाकर तैयार करना था लेकिन अभी भी आधा अधूरा पडा है. जिसके कारण पंचायत क्षेत्र के लोगों को योजना की सुविधा नहीं मिल रहा है. विभागीय जानकारी के अनुसार यह बायोगैस प्लांट 49 लाख के लागत से बनाया जा रहा है.
योजना के शुरू होने से लोगों को मिलेगा रोजगार :
योजना के शुरू होने के बाद इंधन के रूप में गोबर की आवश्यकता होगी. गोबर की आवश्यकता की पूर्ति के लिए स्थानीय पशुपालकों से खरीद की जायेगी. गोबर प्रति किलोग्राम के दर से खरीद की जायेगी. जिससे पशुपालकों को आय प्राप्त होगी. वहीं ईंधन के रूप में प्रयुक्त गोबर से जैविक खाद भी बनेगा. जिससे भी आय संबंधित लोगों को प्राप्त होगी .
20-25 घरों में पाइप लाइन की आपूर्ति से की जायेगी बायोगैस :
जगदीशपुर पंचायत के कुल्हड़िया गांव में कुल 49 लाख 75 हजार 390 रुपये के लागत से बायोगैस प्लांट लगाया जा रहा है. जिसकी आधारशिला 19 मई 2023 को रखा गया है. लेकिन अभी तक बन कर तैयार नहीं हुआ. अगर बनकर तैयार हो गया रहता तो जगदीशपुर पंचायत के कुल्हड़िया गांव के लोगों को इसका लाभ मिलता.
काली सूची में भेजने के लिए विभाग को लिखा गया है पत्र :
बायो गैस प्लांट से जिले में गोबर आधारित बायोगैस का महत्व अत्यधिक है. ग्रामीण क्षेत्र में जलावन के लिए गोबर का प्रयोग उपला/गोइठा के रूप में किया जाता है, वहां उर्जा हेतु गोबर का सर्वप्रथम उपयोग बायो गैस के रूप में तथा प्राप्त स्लरी का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट से उर्वरक प्राप्त करने हेतु किया जाए तो यह निश्चित तौर पर उर्जा के साथ-साथ उर्वरक प्राप्त करने का समन्वय स्थापित करना है. गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों में बायो गैस अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसके उत्पादन में घरेलू एवं खेती के अपशिष्ट पदार्थों का उपयोग होता है. इन अपशिष्ट पदार्थों को एक विशिष्ट संयंत्र में डालकर प्राकृतिक प्रक्रियाओं के द्वारा बायोगैस उत्पादित किया जाता है. इस विधि से उत्पादित गैस में मूलतः मिथेन, जो एक ज्वलनशील गैस है, प्राप्त होती है और इसका उपयोग आसानी से गृह कार्यों यथा खाना बनाने, रौशनी की व्यवस्था करना तथा इसके अतिरिक्त कृषोपोगी संयंत्रों के संचालन में किया जाता है. इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप अवशेष के रूप में स्लरी की प्राप्ति होती है, जिससे 25-30 दिन में वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा सकता है. दो घनमीटर के बायो-गैस संयंत्र से माह में करीब 1.5 से 2 एलपीजी सिलिंडर के बराबर गैस प्राप्त होता है.
बायोगैस उत्पादन के लिए कच्ची सामग्री उपयोग :
बायोगैस उत्पादन हेतु उपयोग में आने वाली कच्ची सामग्री औद्योगिक उत्पाद बिस्कुट, चॉकलेट, डेयरी, सूती वस्त्र उद्योग से प्राप्त उपोत्पाद को बायोगैस के संयंत्रों में उपयोग किया जा सकता है. जानवरों से प्राप्त विसर्ज्य पदार्थ विभिन्न प्रकार के जानवरों के गोबर का इस्तेमाल बायोगैस उत्पादन के लिए किया जाता है. जैसे मुर्गी पालन, भेड़ पालन, मत्स्य पालन से प्राप्त वर्ज्य पदार्थ. मवेशियों का गोबर बायोगैस उत्पादन हेतु बहुतायत से प्रयोग में लाया जाता है. इसके साथ ही खेती से प्राप्त उपोत्पाद. विभिन्न प्रकार के फसलों के उपोत्पाद जैसे- गेहूं से प्राप्त भूसा, धान के फसल से प्राप्त पुआल एवं विभिन्न पौधों से प्राप्त पत्तों को गोबर एवं पानी के साथ मिला देते हैं. इसके साथ-ही-साथ जलकुंभी एवं शैवाल को भी गोबर के साथ मिलाकर डाला जा सकता है. अन्य पदार्थ अन्य कच्चे सामग्री जैसे मशरूम का अपशिष्ट पदार्थ (मशरूम उपज के बाद बचा एवं सड़ा हुआ पुआल) भी बायोगैस संयंत्र में उपयोग किया जाता है. आधुनिक खोजों से यह पता चला है कि मशरूम के अपशिष्ट पदार्थ के उपयोग से ज्यादा प्रभावकारी बायोगैस का उत्पादन किया जा सकता है.
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क्या कहते हैं उप विकास आयुक्त
उपविकास आयुक्त डॉ महेंद्र पाल ने बताया कि कंपनी के एग्रीमेंट के हिसाब से अब तक तो बनकर तैयार हो जाना चाहिए, लेकिन कंपनी आधा अधूरा काम करके छोड़ दिया है. कुछ माह पहले विभाग के गाइडलाइन के अनुसार कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की प्रक्रिया चल रही थी, तब जाकर एक बार कंपनी के द्वारा संपर्क करके बताया गया है कि बायोगैस प्लांट का हमने काम पूरा कर दिया है. केवल गोबर की आवश्यकता है जब हमने विभागीय इंजीनियर के साथ गया तो पता चला कि बहुत सारे लीकेज है और आधा अधूरा ही कंपनी काम किया है. उसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के लिए विभाग को पत्र भेजा गया है.
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