तेघड़ा. द्वारका, वृंदावन एवं मथुरा की तर्ज पर तेघड़ा में ऐतिहासिक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मेला के बड़े बड़े पंडाल, तोरण द्वार, भगवान की प्रतिमाएं एवं पंडाल की सजावजट आकर्षण का केंद्र है. 27 अगस्त की देर रात तेघड़ा में कृष्ण जन्मोत्सव पूजन के साथ भगवान कृष्ण दर्शन को पट खोल दिये गये और 28 अगस्त बुधवार को विभिन्न पूजा पंडाल का बिहार सरकार में खेल मंत्री सह बछवाड़ा विधायक सुरेन्द्र मेहता, एसडीओ तेघड़ा राकेश कुमार, डीएसपी डाॅ रविन्द्र मोहन प्रसाद एवं बीडीओ राकेश कुमार व अन्य जनप्रतिनिधि समाजसेवियों ने उद्घाटन किया. लगभग पांच किलोमीटर से अधिक अनुमंडल कार्यालय से लेकर गौशाले तक तेघड़ा बाजार मेला क्षेत्र के लगभग 15 मंडप का अद्भुत दृश्य लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहा है.जगह जगह लोग सेल्फी लेते देखे जा रहे हैं. कई पूजा पंडाल में आयोजन समिति के द्वारा स्पेशल सेल्फी प्वाइंट बनया गया है. एसडीओ, डीएसपी तेघड़ा के निर्देश पर मेला आने वाले लोगों की सुविधा सुरक्षा के लेकर पूरी तरह लैस है. बता दें कि बताते चलें कि 26 अगस्त को बरौनी कृष्ण जन्मोत्सव पूजन के साथ भगवान श्रीकृष्ण का पट लोगों के पूजन दर्शन के लिए खोला गया. तो 27 को मेला ग्राउंड का उद्घाटन किया गया. जबकि तेघड़ा में 27 को कृष्ण जन्मोत्सव पूजन के साथ लोगों के पूजन एवं दर्शन के लिए पट खोल दिया गया जबकि 28 अगस्त को मेला ग्राउंड का उद्घाटन किया गया. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने विभिन्न पंचागों व शास्त्र के अनुसार तर्क देकर बताया कि 26 अगस्त को गृहस्थ लोग कृष्ण जन्मोत्सव पूजन करेंगे और 27 अगस्त को साधु संतो के द्वारा कृष्ण जन्मोत्सव पूजन किया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत काफी लाभकारी है.
तेघड़ा के पूजा-पंडाल और तोरण में दिख रही मुंबई व दिल्ली की झलक :
मेले को लेकर पूरे तेघड़ा बाजार को दुल्हन की तरह सजाया गया है. मानों ऐसा लग रहा हो कि पूरा तेघड़ा मुंबई, दिल्ली, कोलकत्ता, पुंडीचेरी, असम, बोकारो, धनबाद की तर्ज पर भव्य और आकर्षक पंडालों का निर्माण किया गया है. पूरे मेला परिक्षेत्र को अत्याधुनिक लाईटिंग की भी व्यवस्था और भव्य तोरण द्वार लोगों के मन को खूब लुभा रही है बची खुची कमी मेला ग्राउंड में लगे बड़ा, छोटा झूला, टोरा टोरा, ब्रेक डांस, ड्रेगन, नाव, मौत का कुंआ, बच्चो के हाथ घोड़ा, डिजनी पूरा कर रहा है और लोग उचित दर पर भरपूर मनोरंजन का आनंद ले रहे हैं. वहीं पूजा पंडाल की अद्भुत सजावट और कृष्ण झांकी में बिहार सहित देश के अन्य प्रदेश के नामचीन मुर्ति कलाकारों द्वारा बनाये गये श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता की भाव लीला, रास लीला, राधा विरह, कालिया नाग का अहंकार का खात्मा, प्रद्युम्न जन्म, महाभारत युद्ध आकर्षण का केंद्र है.महामारी से निजात को शुरू हुई श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पूजा :
वर्ष 1929 से स्टेशन रोड स्थित भगवान शिव मंदिर से कृष्ण जन्मोत्सव पूजन महामारी प्लेग से निजात दिलाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण को मानने वाले संतों की टोली की सलाह पर शुरू किया गया. जो आजतक अनवरत चलता आ रहा है. हां यह अलग बात है कि महामारी प्लेग को समाप्त करने के उद्देश्य से शुरू हुआ जन्माष्टमी मेला कोरोना महामारी में प्रशासनिक निर्देश पर बंद किया गया. लेकिन इस दौर में भी भगवान की पूजा प्रशासनिक निर्देश का पालन करते हुये किये गया सिर्फ दो वर्ष मेला का आयोजन नहीं हुआ. कोरोना समाप्ति के बाद में 2022 से पुनः नये उत्साह के साथ भक्तिमय माहौल में भगवान श्रीकृष्ण जनमोत्सव और मेला का आयोजन शुरू कर दिया.मेले में गाजियाबाद की चूड़ी, तो उत्तरप्रदेश की जलेबी की खूब डिमांड :
जानकारों के मुताबिक तेघड़ा मेला में बिहार के मधुबनी पेंटिंग, भागलपुर का सिल्ह और भागलपुरिया चादर, उत्तरप्रदेश की जलेबी, गाजियाबाद और हाजीपुर की चुड़ी, राजस्थान का चीनी मिट्टी का बर्तन और संगमरमर की मुर्ति, सूरत की साड़ियां और कानपूर के खिलौने पूरे तेघड़ा मेला में चार चांद लगाए हुए हैं. और भी शहरों के की समान और सैकड़ों फुटकर काउंटर तेघड़ा बाजार की शोभा बढ़ा रही है. लोगों का मानना है कि पांच किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में लगे मेला में मीना बाजार और अन्य फुटकर दुकानदार सहित मेला ग्राउंड को जोड़ा जाए तो लगभग छह दिनों पच्चास करोड़ के आसपास का कारोबार होता है तेघड़ा कृष्णाष्टमी मेला में.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है